ज़िंदगी की व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि लोग बाथरूम जाने के लिए भी समय निकालते हैं। यह समस्या महिलाओं में और अधिक देखने को मिलती है, खासकर वर्किंग वुमेन में। वर्किंग लेडीज़ को घर-परिवार संभालने के साथ ऑफिस का काम भी करना पड़ता है। दोहरी जिम्मेदारी निभाते-निभाते महिलाएं अक्सर खुद पर ध्यान देना भूल जाती हैं। जल्दी-जल्दी हर काम निपटाने की आदत में वे कभी घंटों तक पेशाब रोक लेती हैं, तो कभी जल्दबाज़ी में अधूरा डिस्चार्ज कर लेती हैं। यही आदतें उनकी पेल्विक हेल्थ पर नकारात्मक असर डालती हैं। आप जानते हैं कि यूरिन डिस्चार्ज करने की आदतें महिलाओं की पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती हैं।
पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर होने से पेशाब या मल बार-बार लीक होने लगता है, पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स यानी गर्भाशय या ब्लैडर नीचे की ओर खिसकने की परेशानी होना, कमर और पेल्विक एरिया में दर्द होना, सेक्स के दौरान तकलीफ होना या कमजोरी होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ज्यादातर लोग फटाफट टॉयलेट जाते हैं और कुछ ही सेकंड में काम खत्म कर लेते हैं। यह आदत भले ही आपका समय बचा दे, लेकिन इस आदत का असर आपकी पेल्विक फ्लोर हेल्थ को बिगाड़ सकता हैं। आइए जानते हैं कि महिलाओं की कौन सी ऐसी आदतें हैं जो उनकी पेल्विक फ्लोर को नुकसान पहुंचा रही हैं।
पेशाब को जल्दी-जल्दी करना
अक्सर महिलाएं पेशाब जल्दी-जल्दी करती है, इस आदत को बताने के लिए पावर पीइंग (Power Peeing) शब्द का इस्तेमाल करना बिल्कुल सही होगा। पावर पीइंग का मतलब है पेशाब को जल्दी खत्म करने के लिए जोर लगाना। अक्सर डॉक्टर पावर पीइंग से बचने की सलाह देते हैं क्योंकि लंबे समय तक यह आदत कई समस्याएं खड़ी कर सकती है। डॉक्टर के मुताबिक पावर पीइंग पेल्विक फ्लोर को कमजोर बना देता है जिससे यूरिन लीक और यूरिन से जुड़ी दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। बार-बार प्रेशर देने से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां और लिगामेंट्स लूज हो जाते हैं, जिससे यूरिन लीक होने की समस्या हो सकती है।
पेशाब करने का ये तरीका भी है गलत
कुछ महिलाएं पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय स्क्वाटिंग या सीट पर झुक कर पेशाब करती हैं ताकि UTI से बचा जा सके। लेकिन यह आदत पेल्विक फ्लोर और ब्लैडर पर दबाव डालती है। एक्सपर्ट के मुताबिक हमेशा टॉयलेट सीट पर बैठकर ही पेशाब करें। इससे पेल्विक फ्लोर को रिलैक्स होने में मदद मिलती है और ब्लैडर पूरी तरह खाली हो जाता है। पैरों को जमीन पर टिकाकर आगे की ओर झुकें और अपनी कोहनियां घुटनों पर रखें। इस पोज़िशन में आपकी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां रिलैक्स महसूस करेंगी। अगर पब्लिक टॉयलेट गंदा है, तो सीट को कवर करें या साफ कर लें, लेकिन बैठकर पेशाब ज़रूर करें।
पेशाब रोककर रखना
पोषण विशेषज्ञ लीमा महाजन के अनुसार, पेशाब को बार-बार या लंबे समय तक रोकने की आदत से यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट ने बताया महिलाएं बार-बार पेशाब की इच्छा को दबाती रहती हैं, जिसके नतीजे गंभीर हो सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, बार-बार पेशाब रोकने से ब्लैडर ज़रूरत से ज़्यादा खिंच सकता है। अगर आप लंबे समय तक पेशाब नहीं करते, तो पानी पीना भी कम कर देते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक है। सामान्य रूप से दिन के समय हर 2–4 घंटे में और रात को 0–2 बार पेशाब आना ठीक माना जाता है। पेशाब रोकने की आदत पेल्विक फ्लोर को लगातार तनाव की स्थिति में डाल देती है।
कीगल एक्सरसाइज करने का गलत तरीका
कीगल एक्सरसाइज से पेल्विक फ्लोर मजबूत होता है, लेकिन इसे पेशाब करते समय करना सही नहीं है। कुछ लोग कीगल एक्सरसाइज पेशाब रोकते और शुरू करते समय करते हैं, लेकिन ये तरीका आपके पेल्विक फ्लोर को नुकसान पहुंचा सकता है। पेशाब करते समय पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को सिकोड़ना आपके दिमाग और ब्लैडर को गलत संदेश देता है और ब्लैडर को पूरी तरह खाली होने से रोकता है।
जल्दी-जल्दी पेशाब करना
भले ही आपको समय की कमी हो, लेकिन पेशाब को फटाफट खत्म करने की आदत से बचना चाहिए। पेशाब हमेशा नेचुरल तरीके से होना चाहिए। ब्लैडर वॉल खुद एक मांसपेशी है जो आपके पेशाब को बाहर निकालती है। इसमें आपको ज़ोर लगाने की ज़रूरत नहीं है। बार-बार धक्का देने से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां और लिगामेंट्स ढीले हो जाते हैं, जिससे आगे चलकर यूरिन लीक की समस्या हो सकती है। अगर आपको लगता है कि पेशाब पूरा डिस्चार्ज नहीं हुआ तो आप फिर दोबारा बैठकर आराम से पेशाब करें। लेकिन धक्का देने या ज़ोर लगाने से बचें।
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