अक्सर देखा गया है कि लड़कियां खास मौकों पर पीरियड होने पर असहज महसूस करती है और उसे टालने के लिए कुछ पीरियड को टालने वाली दवाओं का सेवन करती हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक 18 साल की लड़की की पीरियड्स टालने की दवा खाने से मौत हो गई। पीरियड टालने की दवा हार्मोनल गोलियां होती है, अगर बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाओं का सेवन किया जाए तो ये महिलाओं के लिए घातक हो सकती हैं।  

बेंगलुरु के एक वैस्कुलर सर्जन, डॉ. विवेकानंद ने एक पॉडकास्ट में 18 साल की लड़की की मौत का जिक्र किया है जिसकी मौत पीरियड डिले इन पिल्स खाने की वजह से हुई है। डॉक्टर ने बताया इस गोली का सेवन करने के बाद लड़की के पैरों में तेज दर्द और सूजन हो गई थी। जांच में पता चला कि उसे ब्लड क्लॉट बन गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। डॉक्टर के मुताबिक जब ये थक्के शरीर में कहीं और जैसे फेफड़ों या दिमाग तक पहुंच जाते हैं, तो ये जानलेवा साबित हो सकते हैं, क्योंकि ये रक्त प्रवाह को रोक सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से समझते हैं कि आखिर पीरियड रोकने की दवा क्यों ली जाती है और ये किस तरह काम करती है, इसका सेवन किन लोगों के लिए खतरा साबित हो सकता है।

पीरियड्स टालने की गोलियां क्यों ली जाती हैं?

दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीलम सूरी बताती हैं कि महिलाएं अकसर एग्जाम के दौरान, शादियों, ट्रैवल या किसी खास मौके के लिए पीरियड्स टालने की दवाएं लेती हैं। ये दवाएं बाजार में आसानी से मिल जाती हैं और इनका इस्तेमाल भी लड़कियों में आम है। एक्सपर्ट ने बताया  इन गोलियों का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के लेना खतरनाक हो सकता है। इन दवाओं से खून में थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है।

पीरियड्स टालने की दवाएं कैसे काम करती हैं?

पीरियड टालने की दवाओं में सिंथेटिक हार्मोन जैसे प्रोजेस्टेरोन या एस्ट्रोजन का इस्तेमाल होता हैं, जो शरीर में प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बनाए रखती हैं। इससे गर्भाशय की परत का रिसाव रुक जाता है और पीरियड्स रुक जाते हैं। ये दवाएं आपके शरीर को “गर्भावस्था जैसी स्थिति” में पहुंचा देती हैं, जिससे माहवारी टल जाती है। ये गोलियां पीरियड आने से कुछ दिन पहले ली जाती है। इसका सेवन करने से प्रोजेस्टेरोन का स्तर ऊंचा हो जाता है। ये गोलियां ब्लीडिंग के समय को बदल देती हैं।

पीरियड्स टालने की दवाओं के साइड इफेक्ट

इन गोलियों का एक बड़ा साइड इफेक्ट ये है कि ये खून के गाढ़ा होने की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं। कुछ महिलाओं में, खासकर जिन्हें पहले से कोई ऐसी हेल्थ प्रॉब्लम है या फिर जिन की खून में थक्के बनने की फैमिली हिस्ट्री है उनके लिए ये खतरनाक साबित हो सकती हैं। एक्सपर्ट ने बताया अगर ये ब्लड क्लाट टूटकर फेफड़ों तक पहुंच जाए, तो पल्मोनरी एंबोलिज्म हो सकता है, जिससे अचानक सांस फूलने की समस्या, सीने में दर्द, या दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

किन महिलाओं को इन गोलियों से है ज्यादा खतरा?

इन गोलियों का सेवन करने वाली हर महिला को बराबर खतरा नहीं होता।  जिनके परिवार में ब्लड क्लॉट की हिस्ट्री है, मोटापा या कम एक्टिव लाइफस्टाइल है, धूम्रपान करने वाली महिलाओं को, हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज़ वाली महिलाओं को, हार्मोनल समस्याएं जैसे PCOS की परेशानी वाली महिलाओं को,लिवर या दिल की बीमारी वाली महिलाओं को इन दवाओं से सबसे ज्यादा खतरा है। डॉक्टर आमतौर पर मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं और जरूरत हो तो कुछ टेस्ट भी करवाते हैं उसके बाद लड़कियों को ये दवा खाने की अनुमति देते हैं।

क्या ये गोलियां महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं?

डॉक्टर की सलाह से और सही तरीके से ली गईं ये गोलियां कुछ समय के लिए सुरक्षित हो सकती हैं। लेकिन जब इन्हें खुद से लिया जाता है तो  शरीर पर इसका असर  खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट ने बताया महिलाएं इन दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से नहीं करें। ये सर्दी जुकाम की दवा नहीं है हॉर्मोनल दवाएं है जो शरीर के कई सिस्टम्स पर असर डालती हैं। डॉक्टर हर महिला की प्रोफाइल को जानकर डोज़ और समय तय करते हैं।

पीरियड टालने की दवा ले रही हैं तो इन लक्षणों को नहीं करें नजरअंदाज

  • अगर आप हार्मोनल दवा ले रही हैं तो पैर में अचानक सूजन, दर्द या रेडनेस को नजरअंदाज नहीं करें। ये लक्षण नस क्लॉट होने का संकेत हैं।
  • सीने में तेज दर्द या सांस लेने में तकलीफ होना फेफड़ों में क्लॉट होने का संकेत हो सकता है।
  • सिरदर्द, चक्कर या धुंधली दृष्टि दिमाग में थक्का बनने का संकेत है। इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि देरी जानलेवा हो सकती है।

बार-बार पीरियड्स टालने की जरूरत हो तो क्या करें?

अगर किसी को बार-बार पीरियड्स को शेड्यूल करना पड़ता है, तो डॉक्टर कभी-कभी रेगुलर कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की सलाह दे सकते हैं जो ज्यादा सुरक्षित और कंट्रोल में होती हैं। इसके अलावा, हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और तनाव को कंट्रोल करके पीरियड्स की नियमितता बेहतर हो सकती है।

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