सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है और इस मौसम में अगर सेहत का ध्यान नहीं रखा जाए तो दिल की सेहत को खतरा पहुंच सकता है। पुरानी हिस्ट्री पर नज़र डालें तो सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा देखे जा चुके हैं। कई रिसर्च के आंकड़ों से पता चला है कि सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम गर्मी से ज्यादा रहता है। रिसर्च के मुताबिक कई बार हार्ट अटैक से मरीज की मौत भी हो जाती है। अब सवाल ये उठता है कि दिल का दौरा आखिर गर्मी की तुलना में सर्दी में क्यों ज्यादा पड़ता है।

सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के बाद मृत्यु दर गर्मियों में होने वाली मृत्यु की तुलना में अधिक होती है। मणिपाल हॉस्पिटल, बेंगलुरु में कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सैकत कांजीलाल ने बताया कि सर्दी में शरीर में कई ऐसे बदलाव होते हैं हार्ट अटैक की स्थिति को पैदा करते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर सर्दी में गर्मी की तुलना में हार्ट अटैक का खतरा क्यों ज्यादा रहता है।

सर्दी में क्यों ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा रिसर्च में हुआ खुलासा

पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस जर्नल की एक रिसर्च के मुताबिक सर्दी में हार्ट अटैक का खतरा 31 फीसदी तक बढ़ जाता है जिसके लिए हमारी बॉडी की स्थिति जिम्मेदार है। रात में सोते समय बीपी और शुगर का स्तर घट जाता है जिसे शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम नॉर्मल करने का काम करता है। इस काम को करने के लिए सर्दी में हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है जिससे उसपर दबाव आता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।

घटता तापमान हार्ट अटैक का बनता है कारण

सर्दी के मौसम में तापमान कम हो जाता है जो बॉडी में सिंपेथेटिक सिस्टम को एक्टिवेट करता है जो एड्रेनालाईन को पंप करता है। सिंपेथेटिक सिस्टम हार्ट रेट को बढ़ाता है और इसे गर्म करने के लिए बॉडी के अंगों तक अधिक ऑक्सीजन युक्त ब्लड को सप्लाई करता है। सर्दी में हमारी ब्लड वैसल्स सिकुड़ जाती हैं और संकरी हो जाती है। ब्लड को ब्लड वैसल्स के जरिए अधिक तेजी से पंप करना पड़ता है जिससे सर्दी में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर कोरोनरी धमनियों को संकीर्ण कर सकता है जिससे हार्ट और उसकी मांसपेशियों में ब्लड और ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो सकता है। ये स्थितियां दिल पर दबाव डालती हैं,हार्ट में मौजूदा प्लाक को उखाड़ सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

हॉर्मोनल बदलाव बढ़ा सकते हैं कोलेस्ट्रॉल

सर्दी के मौसम में हॉर्मोनल बदलाव रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं जिसकी वजह से ब्लड को उस स्थान पर पहुंचने में परेशानी होती है जहां उसे जाना है इसलिए लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा सर्दी में ज्यादा रहता है।

एक्सरसाइज नहीं करना भी बढ़ाता है हार्ट रिस्क

अक्सर लोग सर्दी के डर से या फिर एलर्जी और पॉल्यूशन की वजह से घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं। उनकी वॉक और एक्सरसाइज कम हो जाती है। बॉडी की कम एक्टिविटी हार्ट अटैक का कारण बनती है।

बढ़ता प्रदूषण बढ़ाता है दिल के लिए खतरा

सर्दी में वायु प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या होता है जिसकी वजह से श्वसन संक्रमण और एलर्जी बॉडी में सूजन को बढ़ाते हैं जो दिल के लिए खतरा है।

थॉयराइड का घटता-बढ़ता स्तर भी बढ़ाता है खतरा

अगर आपका थायरॉयड सामान्य रूप से काम नहीं करता है, तो आपका सीरम TSH बढ़ जाता है और दिल को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होती है।

विटामिन डी की कमी भी दिल के लिए खतरा

सर्दी में सूरज कम निकलता है और धूप कम रहती है जिससे बॉडी में विटामिन डी की कमी का स्तर कम होने लगता है। विटामिन डी की कमी कैल्शियम के मेटाबॉलाइज को प्रभावित करती है जो विद्युत आवेगों को नियंत्रित करता है। विटामिन डी की कमी से अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है।