सुबह उठते ही पेट का साफ होना एक स्वस्थ शरीर की पहचान है, लेकिन क्या आपको खाना खाने या पानी पीने के तुरंत बाद मल त्याग (Bowel Movement) के लिए भागना पड़ता है? अगर हां, तो इसे नजरअंदाज न करें। बेंगलुरु के जाने-माने आयुर्वेदिक एनोरेक्टल सर्जन डॉ. वरुण शर्मा के अनुसार, भोजन के तुरंत बाद प्रेशर महसूस होना या मल के साथ चिकना पदार्थ (Mucus) निकलना सामान्य नहीं है। यह इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) का एक प्रमुख लक्षण हो सकता है।

आयुर्वेद में इस बीमारी को ग्रहणी रोग कहते हैं जो वात,कफ और पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। डॉक्टर वरुन शर्मा ने बताया कि सुबह-सुबह उठते ही पेट का साफ होना नॉर्मल है लेकिन खाने-पीने के तुरंत बाद मल त्याग करना बीमारी है। खाना खाने के तुरंत बाद प्रेशर आना या चिकना पदार्थ निकलना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण हैं। आंत से जुड़ी इस परेशानी का इलाज आमतौर पर लोग दवाओं से करते हैं लेकिन आप कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से भी इस परेशानी का उपचार कर सकते हैं। आइए डॉक्टर से जानते हैं कि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है और इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है।

गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स क्या है?

जब हम खाना खाते हैं, तो पेट (Stomach) में फैलता है। इसके बाद दिमाग आंतों को सिग्नल भेजता है कि अब पाचन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस सिग्नल के असर से बड़ी आंत (Colon) में हलचल बढ़ जाती है, ताकि पहले से मौजूद मल को बाहर निकालने की जगह बन सके। इसी वजह से कुछ लोगों को खाना खाते ही या खाने के तुरंत बाद टॉयलेट जाने की तीव्र इच्छा महसूस होती है। खाते ही मल डिस्चार्ज करने की समस्या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) के मरीजों को, जिनकी पाचन क्रिया कमजोर है, बहुत ज्यादा ऑयली, मसालेदार या भारी भोजन करने वालों में, तनाव, एंग्जायटी और जल्दबाजी में खाना खाने वालों में, ज्यादा चाय, कॉफी या कैफीन लेने वालों में होती है।

गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स (Gastrocolic Reflex) सामान्य प्रक्रिया है या IBS जैसी किसी बीमारी का संकेत। एक रिसर्च के अनुसार आमतौर पर खाने को मल बनकर शरीर से बाहर निकलने में 10 से 73 घंटे लगते हैं, इसे ‘गट ट्रांजिट टाइम’ कहते हैं।  ‘इरिटेबल बाउल सिंड्रोम’ एक बड़ी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या है, लेकिन इसे रोका जा सकता है।  लेकिन अगर यह इच्छा कंट्रोल न हो पाए या बहुत तेज़ हो तो यह पेट से जुड़ी कोई समस्या या आंत की बीमारी का संकेत हो सकता है।

दवा नहीं, ये घरेलू नुस्खे करेंगे काम

आमतौर पर लोग इस समस्या के लिए एलोपैथिक दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन डॉ. शर्मा के अनुसार आयुर्वेद में कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं जो आंतों की संवेदनशीलता को कम कर पाचन को दुरुस्त कर सकते हैं।

कुटज और बिलवा का चूर्ण खाएं
आयुर्वेद में कुटज को पेट की मरोड़ और ‘संग्रहणी’ (IBS) के लिए रामबाण माना गया है। 1-1 ग्राम कुटज की छाल का चूर्ण और बेल (Bilva) का चूर्ण मिलाकर दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लें परेशानी कंट्रोल होगी। 

छाछ और भुना जीरा खाए

छाछ (Buttermilk) एक प्रोबायोटिक की तरह काम करती है और आंतों की सूजन कम करती है। दोपहर के भोजन के बाद छाछ में भुना हुआ जीरा और काला नमक डालकर पिएं। यह गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स को शांत करता है।

सौंफ और अदरक का पानी

सौंफ आंतों की मांसपेशियों को आराम देती है, जबकि अदरक पाचन अग्नि को बढ़ाता है। खाना खाने के बाद आधा चम्मच सौंफ चबाएं या सौंफ-अदरक का उबला हुआ पानी पिएं।

तनाव कम करें

IBS का सीधा संबंध मानसिक तनाव से है, इसलिए योग और ध्यान (Meditation) करें। ज्यादा तीखा, बाहर का जंक फूड और ठंडी चीजों के सेवन से बचें।

खाना चबाकर खाएं

भोजन को बहुत धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाएं ताकि पेट पर अचानक दबाव नहीं पड़ेगा।

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