रोटी रोजाना के खाने का मुख्य घटक है। उत्तर भारत में गेहूं की रोटी बड़ी मात्रा में खाई जाती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में गेहूं को लेकर शंका पैदा हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आधुनिक गेहूं अब पहले के प्राकृतिक गेहूं जैसा नहीं रहा, क्योंकि प्रोसेसिंग के दौरान इसके रेशे, विटामिन और खनिज कम हो जाते हैं। इसमें मौजूद ग्लूटेन की वजह से कई लोगों को अपच, वजन बढ़ना और जोड़ों की समस्या जैसी समस्याएं होने लगी हैं।
तुलसी आयुर्वेद, एमडी, डॉ. अंकित अग्रवाल के मुताबिक, हर रोटी सेहतमंद नहीं होती और हर अनाज हमारे लिए एक जैसा नहीं होता। आधुनिक गेहूं का ग्लूटेन स्ट्रक्चर हमारे पेट के लिए भारी हो सकता है। इससे पाचन तंत्र धीमा हो सकता है, सूजन बढ़ सकती है और शुगर असंतुलन का छिपा हुआ कारण बन सकता है।
डॉ. अंकित अग्रवाल के मुताबिक, हमारे पारंपरिक अनाजों में गेहूं के मुकाबले कई ऐसे विकल्प हैं जो हल्के, पौष्टिक और लंबे समय तक पेट भरने वाले हैं। इनमें सबसे अहम नाम जौ का है। आयुर्वेद में ज्वारी, राचनी, बाजरा के साथ जौ को भी खास माना गया है। इसकी रोटी खाने या इसका पानी पीने से शरीर को अपार लाभ मिल सकते हैं। चलिए आपको बताते हैं गेहूं की जगह जौ को क्यों अपनाना चाहिए।
गेहूं के नुकसान
आज हम जो गेहूं खाते हैं, वह पुराने गेहूं जैसा नहीं है। रासायनिक खादों, संकर बीजों और शोधन प्रक्रियाओं ने इसके प्राकृतिक पोषण को कम कर दिया है। कुछ लोगों को गेहूं खाने के बाद पेट फूलना, गैस, जोड़ों में दर्द और यहां तक कि त्वचा पर फुंसियां जैसी समस्याएं भी होती हैं, क्योंकि इसमें ग्लूटेन नामक प्रोटीन होता है, जो पचने में मुश्किल होता है। इसलिए यह ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है।
जौ के फायदे
जौ गेहूं से हल्का और आसानी से पचने वाला होता है। इसमें गेहूं से तीन गुना ज्यादा प्रोटीन और चार गुना ज्यादा फाइबर होता है। फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है और भूख को कंट्रोल रखता है। अगर, आप वजन कम करना चाहते हैं तो जौ की रोटी एक बेहतरीन विकल्प है। प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
जौ या बाजरे का पानी
जौ का पानी पीना एक पुराना आयुर्वेदिक उपाय है। दो गिलास पानी में मुट्ठी भर जौ उबालें और एक-चौथाई पानी रह जाने तक उबलने दें। ठंडा होने पर दिन भर थोड़ा-थोड़ा करके इस पानी का सेवन करें। यह पानी शरीर की चर्बी कम करने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह पानी गर्मी में ठंडक प्रदान करता है और शरीर की सूजन भी कम करता है।
किडनी की पथरी और यूरिक एसिड से राहत
जिन लोगों को किडनी स्टोन की समस्या है या यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है, उनके लिए जौ का पानी रामबाण है। आयुर्वेद के मुताबिक, जौ मूत्रवर्धक गुणों वाला अनाज है। इससे शरीर में मौजूद अतिरिक्त नमक और हानिकारक तत्व पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाते हैं। इससे किडनी स्टोन धीरे-धीरे घुलने में मदद मिलती है। इसके साथ ही यह जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याएं भी कम करने में असरदार है।
एक्सपर्ट के अनुसार, जौ की तासीर ठंडी होती है। यह कफ-पित्त को संतुलित करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। जौ उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो अक्सर एसिडिटी, अपच, थकान या जोड़ों के दर्द से पीड़ित रहते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस पारंपरिक अनाज को फिर से अपनाना स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।