डायबिटीज के मरीजों में डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने का खतरा अधिक रहता है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी जिसे किडनी की बीमारी के रूप में जाना जाता है। ये परेशानी आमतौर पर ब्लड में शुगर का स्तर हाई होने से और डायबिटीज की दवाईयों का सेवन करने से होती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी (diabetic nephropathy) एक तरह का क्रोनिक किडनी रोग है। इस क्रोनिक किडनी डिजीज में व्यक्ति की किडनी डायबिटीज की वजह से खराब हो जाती है। ये बीमारी एक लॉग टर्म किडनी डिजीज है(long-term kidney disease) है। इस परेशानी की वजह से मरीज की किडनी फेल हो सकती है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से जूझ रहे व्यक्तियों को ये बीमारी हो सकती है।

डायबिटीज रोगियों को ना सिर्फ यूरीन इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है बल्कि दिल के रोग और लंग्स में इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। डायबिटीज का असर किडनी पर अधिक प्रभाव पड़ता डालता है। डायबिटीज के मरीजों को किडनी खराब होने का खतरा अधिक रहता है। नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हास्पिटल,गुरुग्रम में नेफ्रोलॉजिस्ट डा.सुदीप सिंह सचदेव के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों में किडनी की ये बीमारी होने पर बॉडी में उसके लक्षण दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं कि डायबिटिक नेफ्रोपैथी के वॉर्निंग साइन कौन-कौन से हैं।

हाथ, टखनों या पैरों में सूजन (एडिमा)।

जब किडनी बॉडी से अतिरिक्त फ्लूड को निकालने में असफल हो जाती है तो शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है। यह सूजन आमतौर पर हाथों, पैरों या टखनों पर ज्यादा होती है। सूजन की वजह से बॉडी के ये अंग फूले हुए, सूजे हुए दिखते हैं। इसके अलावा चूंकि शरीर आवश्यकता से अधिक तरल पदार्थ जमा करता है तो इससे वजन बढ़ सकता है।

ड्राई स्किन और खुजली होना:

स्किन पर सूखी खुजली होना किडनी की बीमारी के लक्षण है। यह संकेत है कि विषाक्त पदार्थ और अपशिष्ट उत्पाद रक्तप्रवाह में जमा हो गए हैं। स्किन पर इसका परिणाम दाने,रेडनेस और सूखे धब्बे हो सकते हैं।

झागदार पेशाब आना प्रोटीन लॉस का लक्षण है:

एल्ब्यूमिन, एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो आमतौर पर डायबिटीज में किडनी की बीमारी के शुरुआती चरणों में यूरीन में मौजूद होता है। यूरीन टेस्ट के जरिए इसकी पहचान की जा सकती है। यूरीन में प्रोटीन किडनी की बीमारी के लिए एक वॉर्निंग साइन है क्योंकि किडनी आमतौर पर प्रोटीन को गुजरने से रोकती हैं। झागदार पेशाब आना प्रोटीन लॉस का लक्षण है।

भूख में बदलाव होना:

डायबिटिक किडनी डिजीज में एक अन्य वॉर्निंग साइन भूख में तेजी से बदलाव आना और भूख में कमी होना है। रक्त में अपशिष्ट पदार्थों के जमा होने के कारण मतली, उल्टी, भूख न लगना और वजन कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं।

कमजोरी और थकान होना:

डायबिटीज की बीमारी वाले इंसान में थकान या अत्यधिक थकावट एक आम शिकायत है। यह आम तौर पर एनीमिया की वजह से होती है। इस स्थिति में किडनी एरिथ्रोपोइटिन का उत्पादन करना बंद कर देती हैं। एरिथ्रोपोइटिन एक हार्मोन जो बॉर्न मैरों में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को उत्तेजित करने में सहायता करता है।