हम जीवित रहने के लिए हर मिनट कई बार सांस लेते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को इस साधारण सांस लेने की क्रिया के महत्व का एहसास तब तक नहीं होता जब तक वे बीमार नहीं पड़ जाते। फेफड़े शरीर के कारखाने हैं, जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं, लेकिन जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ता है, फेफड़ों की ताकत कम होने लगती है। ग्रामीण इलाकों में धुआं, शहरी इलाकों में धूल भरी हवा, सिगरेट का धुआं, ये सभी कारक धीरे-धीरे इन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोगों को थोड़ी देर चलने पर भी सांस फूलने लगती है, जबकि अन्य को लगातार सूखी खांसी होती है। सर्दियों में यह समस्या और भी बढ़ जाती है, लेकिन कुछ साधारण आदतों को बदलकर अपने फेफड़ों को स्वस्थ रख सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे कदम फेफड़ों की सेहत के लिए बड़ा कवच हैं।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
शरीर के हिलने-डुलने से फेफड़े बेहतर ढंग से काम करते हैं। एरोबिक व्यायाम, जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना या तैरना, सांस लेने की क्षमता बढ़ाते हैं। व्यायाम हार्ट गति को बढ़ाता है और रक्त में ऑक्सीजन के उपयोग की दक्षता को बढ़ाता है। दिन में सिर्फ 30 मिनट पैदल चलने से भी फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनमें सीओपीडी जैसी बीमारियां होने की संभावना कम होती है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज
फेफड़ों की कार्यक्षमता न केवल व्यायाम से, बल्कि उचित श्वास लेने से भी बेहतर होती है। पेट से सांस लेना (डायाफ्रामिक श्वास) और होठों को सिकोड़कर धीरे-धीरे सांस छोड़ना अस्थमा या पुरानी श्वसन समस्याओं के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। इस अभ्यास से वायुमार्ग लंबे समय तक खुले रहते हैं, सांस लेने में तकलीफ कम होती है और शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलती है। इन व्यायामों का प्रतिदिन कुछ मिनट अभ्यास करने से भी परिणाम मिल सकते हैं।
वजन कंट्रोल
पेट की अतिरिक्त चर्बी डायाफ्राम पर दबाव डालती है, जिससे फेफड़ों का फैलाव कम हो जाता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। शोध से पता चला है कि मोटे लोगों में स्लीप एपनिया होने की संभावना ज्यादा होती है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फूड्स फेफड़ों की कोशिकाओं की रक्षा करते हैं। वजन कंट्रोल बनाए रखने का मतलब है फेफड़ों को स्वतंत्र रूप से काम करने का मौका देना।
वायु गुणवत्ता पर ध्यान दें
फेफड़ों का स्वास्थ्य सीधे तौर पर उस हवा से जुड़ा है, जिसमें हम सांस लेते हैं। धुएं वाली हवा, वाहनों का प्रदूषण, औद्योगिक धूल या घरेलू धुआं फेफड़ों के विकास को प्रभावित करते हैं। छोटे बच्चों में यह प्रभाव और भी गंभीर होता है। इसलिए, जितना हो सके स्वच्छ हवा में टहलना, घर में धुएं से बचना और वायु की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है।
पानी और पानी से भरपूर फूड्स खाएं
हाइड्रेशन आपके फेफड़ों और वायुमार्गों में बलगम को पतला करने में मदद करता है, जिससे आपके फेफड़ों के लिए बलगम को बाहर निकालना और उसमें मौजूद किसी भी बैक्टीरिया या वायरस को निकालना आसान हो जाता है। हाइड्रेशन फेफड़ों की प्राकृतिक सफाई प्रणाली, जिसे म्यूकोसिलरी क्लीयरिंग सिस्टम कहा जाता है, को बढ़ावा देता है। पानी पीना, हर्बल चाय और खीरे जैसे पानी वाले फूड्स मदद कर सकते हैं।
वहीं, फिटनेस ट्रेनर नवनीत रामप्रसाद के अनुसार, सिर्फ लंबी वॉक करना 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मजबूत बनाने के बजाय और भी कमजोर कर सकता है।