Diabetes Symptoms: आज के समय में खराब खानपान, स्ट्रेस, शारीरिक सक्रियता की कमी और अनियमित दिनचर्या से लोग कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है ब्लड शुगर का बढ़ना जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। बता दें कि ग्लूकोज एनर्जी का मुख्य स्रोत होता है जो शरीर के लिए कुछ मात्रा में जरूरी है।

डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है जिससे दुनिया भर में अरबों लोग पीड़ित हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ब्लडस्ट्रीम में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने से ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि देखने को मिलती है। शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से कार्डियोवास्कुलर डिजीज, किडनी रोग, आंखों से संबंधी दिक्कतें भी हो सकती हैं। ऐसे में ये जानना बेहद आवश्यक है कि नॉर्मल ब्लड शुगर रेंज कितना होता है। आइए जानते हैं विस्तार से –

ब्लड शुगर का नॉर्मल रेंज क्या है: हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हेल्दी बॉडी में फास्टिंग ब्लड शुगर 70 से 100 एमजी/डीएल के बीच होता है। वहीं, खाने के करीब दो घंटे के बाद एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्त शर्करा का स्तर 140 एमजी/डीएल से कम होना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ब्लड शुगर लेवल इससे अधिक होता है तो लोगों को डायबिटीज का खतरा हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शुगर लेवल बढ़ने से कई स्वास्थ्य परेशानियां होने लगती हैं, ऐसे में इसके लक्षणों को समझना भी बेहद जरूरी होता है।

बार-बार पेशाब लगना: डायबिटीज के दोनों प्रकार टाइप 1 और टाइप 2 से पीड़ित लोगों को जरूरत से ज्यादा पेशाब करने की इच्छा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि डायबिटीज रोगियों में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है जो पेशाब के मार्ग से ही शरीर के बाहर निकलती है।

आंखों की रोशनी कम होना: हाई ब्लड शुगर के लक्षणों में से एक है मरीजों की आंखें प्रभावित होने लगती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि रक्त शर्करा के उच्च स्तर होने पर आंखों की रोशनी कम होने लगती है जिस वजह से धुंधलापन और अंधेपन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वहीं, ज्यादा ब्लड शुगर मोतियाबिंद का कारण भी बन सकता है।

नहीं भरते हैं जल्दी घाव: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि शुगर लेवल ज्यादा होने से कोई चोट या घाव भरने में समय लगता है। बताया जाता है कि शरीर में शुगर का स्तर अधिक होने से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा तो होता ही है, साथ ही बॉडी पार्ट्स में ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक से नहीं होता है जिस वजह से घाव जल्दी ठीक नहीं हो पाता है।