पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने बुधवार 17 जुलाई, 2024 को गुजरात में चार साल की बच्ची की मौत की पुष्टि की है। बच्ची की मौत चांदीपुरा वायरस के कारण हुई है। वायरस के संदिग्ध मामलों से मरने वालों की संख्या 15 हो गई है। गुजरात के 12 से ज्यादा जिलों में इस वायरस के कुल 29 मामले सामने आए हैं। 29 मामलों में 26 गुजरात से,2 राजस्थान से और 1 मामला मध्य प्रदेश से है। इस वायरस के बढ़ते मामलों ने लोगों को डरा दिया है।
ये जानना जरूरी है कि कोविड-19 के बाद जो वायरस लोगों में दहशत फैला रहा है आखिर वो वायरस है क्या और वो लोगों में कैसे फैलता है। आइए जानते हैं कि चांदीपुरा वायरस क्या है और इसके लक्षणों की पहचान कैसे करें। किन लोगों को इस वायरस से खतरा ज्यादा है।
चांदीपुरा वायरस क्या है?
CHPV रबडोविरिडे फैमिली का एक वायरस है, जिसमें रेबीज का कारण बनने वाले लाइसावायरस जैसे अन्य सदस्य भी शामिल हैं। सैंडफ्लाइज़ की कई प्रजातियां जैसे फ़्लेबोटोमाइन सैंडफ़्लाइज़ और फ़्लेबोटोमस पपाटासी, और कुछ मच्छर प्रजातियां जैसे एडीज एजिप्टी (जो डेंगू का वाहक भी है) को CHPV का वाहक माना जाता है। ये वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथि में रहता है, और इंसान को काटकर उसके शरीर में प्रवेश करता है। वायरस के कारण होने वाला ये संक्रमण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुंच सकता है जिससे एन्सेफलाइटिस (दिमाग के टिशू में सूजन होना) हो सकता है।
सीएचपीवी संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
सीएचडीओ,असवल्ली, डॉक्टर एम.ए.सिद्दीकी ने बताया कि CHPV संक्रमण सैंडफ्लाइज़ नाम के मच्छर के काटने से होता है। इसकी चपेट में आने पर शुरू में फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिलते है। इस संक्रमण की चपेट में आकर तेज बुखार (104 तक) हो सकता है, डायरिया, शरीर में दर्द और सिरदर्द जैसी परेशानी होती है। इसके बाद यह वायरस सेंसोरियम (sensorium) और एन्सेफलाइटिस encephalitis में बदल सकता है। दूसरे लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत होना, ब्लीडिंग और एनीमिया जैसे लक्षणों को भी देखा गया है। एन्सेफलाइटिस के बाद संक्रमण तेजी से बढ़ता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने के 24-48 घंटों के अंदर मरीज की मौत हो सकती है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों को इससे ज्यादा नुकसान होने का अंदेशा है।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश जोशी ने कहा कि इस वायरस का प्रकोप अक्सर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में लोगों को ज्यादा परेशान कर रहा है। इन क्षेत्रों में सैंडफ्लाइज़ मच्छर के फैलने के आसार ज्यादा है। एक्सपर्ट के मुताबिक ये संक्रमण मौसमी बदलाव है जिसकी वजह से मक्खियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
एक्सपर्ट के अनुसार बहुत से कच्चे घरों में गोबर के पेंट का उपयोग किया जाता है या शायद गोबर के उपले बनाए जाते हैं जिस पर उड़ने वाली मक्खियां तेजी से मंडराती हैं और इस वायरस के फैलने का कारण बनती हैं।
चांदीपुरा वायरस से कैसे करें बचाव
- इस वायरस से बचाव करने के लिए घर में और घर के आस-पास सफाई का ध्यान रखें। इस वायरस से बचाव करने के लिए सफाई रखना बेहद जरूरी है। घर में गंदगी रहेगी तो मच्छर और मक्खियों का खतरा ज्यादा रहेगा।
- सैंडफ्लाई के काटने से बचें। सैंडफ्लाई से मतलब उड़ने वाले, ब्लड को चूसने वाले, स्किन पर काटने वाले मच्छर और मक्खियों से हैं। मच्छरों से खुद का और बच्चों का बचाव करने के लिए फुल स्लीव कपड़े पहनें। घर में मच्छरों से बचाव करने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
- घर में खाने-पीने का सामान खुला नहीं रखें बल्कि ढक कर रखें।
चांदीपुरा वायरस से उपचार
इस वायरस से बचाव का अभी कोई टीका नहीं बना है लेकिन लक्षणों को देखते हुए इस बीमारी का इलाज किया जा रहा है। बुखार और बदन दर्द को कम करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वायरस का खतरा सबसे ज्यादा बुजुर्ग और बच्चों को है। बच्चे और बुजुर्ग गंदगी से दूर रहे, डाइट का ध्यान रखें। डाइट में विटामिन सी से भरपूर फूड्स का सेवन करें।