बढ़ता तनाव,खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल आपको कई क्रॉनिक बीमारियों का शिकार बना देता है। लगातार तनाव में रहने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी का खतरा भी बढ़ने लगता है। इन क्रॉनिक बीमारी की वजह से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। आप जानते हैं कि स्ट्रॉक दो प्रकार के होते हैं एक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में ब्लड पहुंचना बंद हो जाता है। दूसरा होता है साइलेंट स्ट्रोक। साइलेंट स्ट्रॉक एक ऐसी बीमारी है जिसके आने का कोई पता नहीं चलता।

साइलेंट स्ट्रोक का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। साइलेंट स्ट्रोक ब्रेन के उस हिस्से को प्रभावित करता है जो बॉडी में हिलने-डुलने और बोलने जैसे कामों पर कंट्रोल करता है। साइलेंट स्ट्रोक के कारण की बात करें तो ये स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन अचानक से बंद हो जाता है। साइलेंट स्ट्रॉक मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।

मेडिकवर अस्पताल के सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर तेजस सकले के मुताबिक ब्रेन के क्षतिग्रस्त हिस्से के आधार पर स्ट्रोक के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि साइलेंट स्ट्रॉक के लक्षण कौन-कौन से हैं और उनका उपचार कैसे करें।

साइलेंट स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?

  • याददाश्त में कमी होना
  • संतुलन बनाने में परेशानी होना
  • मनोदशा में अचानक बदलाव होना
  • बार-बार गिरना
  • यूरीन का बार-बार डिस्चार्ज होना
  • सोचने की क्षमता कम होना शामिल है।

साइलेंट स्ट्रोक कितना हो सकता है खतरनाक ?

  • साइलेंट स्ट्रोक का असर आपके मस्तिष्क पर लम्बे समय तर रहता है।
  • साइलेंट स्ट्रोक के बाद मरीज को चीजों को याद रखने में मुश्किल होती है।
  • मरीज का ध्यान किसी एक चीज पर केंद्रित नहीं होता।
  • साइलेंट स्ट्रोक की वजह से भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं जैसे मरीज का बेवजह रोना या हंसना।
  • मरीज का अस्त-व्यस्त महसूस होने जैसे लक्षण हो सकते हैं।

साइलेंट स्ट्रॉक से बचाव कैसे करें:

  • साइलेंट स्ट्रोक से बचाव करने के लिए रोजाना 30 मिनट व्यायाम तक एक्सरसाइज करें। रोज़ एक्सरसाइज करने से साइलेंट स्ट्रोक की संभावना 40% तक कम हो जाती है।
  • वजन को कंट्रोल करें। बढ़ता वजन आपको कई क्रॉनिक बीमारियों का शिकार बना सकता है। साइलेंट स्ट्रोक से बचाव करने के लिए वजन का कंट्रोल होना जरूरी है।
  • हेल्दी लाइफस्टाइल और हेल्दी डाइट का सेवन करें।
    नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचें। तम्बाकू और शराब का सेवन स्ट्रोक का कारण बन सकता है।