डायबिटीज एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक बीमारी है जिसके लिए खराब डाइट, बिगड़ता लाइफस्टाइल और तनाव जिम्मेदार है। डायबिटीज की बीमारी में ब्लड में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। बॉडी में इंसुलिन हार्मोन की कमी होने से या इंसुलिन हार्मोन के ठीक से काम नहीं करने के कारण ब्लड में शुगर का स्तर हाई होने लगता है। डायबिटीज मरीजों के लिए ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करना जरूरी है। डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए डाइट का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। हेल्थलाइन के मुताबिक ब्लड शुगर बढ़ने के लिए खाने का प्रकार, खाने का तरीका बेहद जिम्मेदार है।
जिन लोगों का ब्लड शुगर हाई रहता है उनकी बॉडी में हाई शुगर के लक्षण दिखने लगते हैं। धुंधली दृष्टि, कंफ्यूजन, भूख और प्यास ज्यादा लगना, यूरिन का ज्यादा डिस्चार्ज होना और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं।
टाइप 2 मधुमेह का निदान अक्सर 40 वर्ष की उम्र के बाद लोगों में होता है लेकिन पिछले कुछ सालों में कम उम्र में ही डायबिटीज के लक्षण लोगों में दिख रहे हैं। डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया जाए तो इससे दिल के रोगों, किडनी और लंग्स को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटीज मरीजों के लिए हर उम्र में ब्लड शुगर की निगरानी करना जरूरी है, क्योंकि हर उम्र में ब्लड शुगर का स्तर बदलता रहता है।
जब आप बिस्तर से उठते हैं तो आपका फॉस्टिंग शुगर कितना होता है और नाश्ता करने के बाद आपके ब्लड में शुगर का स्तर कितना होता है इसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। फास्टिंग और पोस्ट मील शुगर हर उम्र में अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं कि उम्र के मुताबिक कितना होना चाहिए ब्लड में शुगर का स्तर।
फॉस्टिंग शुगर | पोस्ट मील शुगर |
80–180 mg/dL | 90-180 mg/dL तक |
80–150 mg/dL | भोजन के बाद: 150 mg/dL तक |
70 से 150 mg/dl | 140 mg/dL तक |
100-130 mg/dl | 130-140 mg/dl |
90 से 130 mg/dl | अधिकतम 150 mg/dl |
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