बच्चे के जन्म के बाद बच्चे की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जन्म के बाद नवजात बच्चे की सेहत उसकी मां के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। जन्म के बाद बच्चे की बॉडी के विकास के लिए पर्याप्त पोषक तत्व उसकी मां से मिलते हैं। लेकिन कुछ लेडी बच्चों को पर्याप्त फीडिंग नहीं कराती हैं जिसकी वजह से बच्चे को बाहर का दूध पिलाना पड़ता है। ऐसे में बच्चे की बॉडी में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। कई बार पैरेंट्स बच्चे को गाय का दूध पिलाते हैं,जिसमें फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होता है। यह हाइपोकैल्सीमिया का कारण बन सकता है। हाइपोकैल्सीमिया शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर कैल्शियम का स्तर गिरने से हो सकता है।
कैल्शियम बॉडी को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए बेहद जरूरी है। हमारी बॉडी की हड्डियां कैल्शियम,प्रोटीन और खनिज जैसे पोषक तत्त्वों से मिलकर बनती हैं। कैल्शियम की कमी को हाइपोकैल्सीमिया (Hypocalcemia) के नाम से भी जाता है, जिसकी वजह से खून में कैल्शियम का स्तर कम हो जाता है।
hopkinsmedicine की खबर के मुताबिक बच्चों में हाइपोकैल्सीमिया की स्थिति उच्च जोखिम वाले शिशुओं,समय से पहले जन्मे बच्चे,डायबिटीज से पीड़ित मां के बच्चे को,बच्चे में सांस की परेशानी होने पर,श्वसन संकट और हाइपोपैराथायरायडिज्म वाले शिशुओं को ये परेशानी हो सकती है। इस बीमारी की वजह से बच्चा बेहोश हो सकता है जो आपके लिए बेहद डरावनी स्थिति हो सकती है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारें में और इसकी चपेट में आने वाले बच्चे में इसके कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।
हाइपोकैल्सीमिया क्या है?
हाइपोकैल्सीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में कैल्शियम बहुत कम होता है। सामान्य कैल्शियम का स्तर हृदय और मांसपेशियों के ठीक से काम करने के साथ-साथ हड्डियों के विकास के लिए भी आवश्यक है। हाइपोकैल्सीमिया विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है, जो स्तनपान करने वाले शिशुओं में हो सकता है जिन्हें विटामिन डी की खुराक नहीं दी जाती है। हाइपोकैल्सीमिया के दुर्लभ कारणों में हाइपरपैराथायरायडिज्म (पिट्यूटरी ग्रंथि का एक विकार) और स्यूडोहाइपोपैराथायरायडिज्म, एक आनुवंशिक विकार जो हाइपोपैराथायरायडिज्म की मिमिक करता है, शामिल हैं।
हाइपोकैल्सीमिया के अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं, ये परेशानी होने पर बॉडी में कुछ बदलाव दिखते हैं जैसे
ड्राई स्किन,ड्राई बाल, नाज़ुक नाखून,मांसपेशियों में ऐंठन,उंगलियों और पैर की उंगलियों में झुनझुनी,मोतियाबिंद और दांत का इनेमल कमजोर होने जैसे लक्षण सामने आते हैं।
इस बीमारी का पता कैसे चलता है:
कैल्शियम के स्तर की जांच के लिए एक ब्लड टेस्ट कराया जाता है। पैराथाइरॉइड हार्मोन और विटामिन डी के रक्त स्तर को मापकर हाइपोकैल्सीमिया के कारण का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
हाइपोकैल्सीमिया का इलाज कैसे करें:
इस बीमारी की वजह से बॉडी में कैल्शियम का स्तर गिर सकता है जिससे हड्डियों का निर्माण रुक सकता है, हड्डियां भंगुर हो सकती हैं जिनमें फ्रैक्चर होने का खतरा होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए बच्चे को विटामिन डी की खुराक दी जा सकती है।