डायबिटीज एक ऐसी साइलेंट किलर बीमारी है, जो लंबे समय तक कंट्रोल में न रहे तो धीरे-धीरे शरीर के अहम अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है। लगातार हाई ब्लड शुगर का स्तर नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे आंखें, दिल, नर्व्स और खासतौर पर किडनी प्रभावित होती हैं। डायबिटीज के मरीजों में किडनी से जुड़ी बीमारी जिसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं सबसे आम और गंभीर जटिलताओं में से एक मानी जाती है। समस्या ये है कि किडनी डैमेज की शुरुआत में कोई तेज या साफ लक्षण नजर नहीं आते। इसी वजह से लोग शुरुआती संकेतों को समझ नहीं पाते और हल्की सूजन, थकान या पेशाब में बदलाव जैसी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं।

जब तक लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं, तब तक किडनी को काफी नुकसान हो चुका होता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लड शुगर को लंबे समय तक कंट्रोल में रखना, नियमित जांच कराना और शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। समय रहते पहचान और सही इलाज से किडनी को होने वाले नुकसान को काफी हद तक रोका या धीमा किया जा सकता है।

एस्टर आरवी हॉस्पिटल, बेंगलुरु में सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. हर्षा कुमार एच एन बताते हैं कि शुरुआती स्टेज की किडनी बीमारी में लक्षण बहुत हल्के या अस्पष्ट होते हैं, जैसे हल्की सूजन, थोड़ा ज्यादा थकान महसूस होना या पेशाब में झाग आना जो प्रोटीन लीक होने का संकेत होता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि डायबिटीज मरीजों में किडनी खराब होने के कौन-कौन से वार्निंग साइन दिखते हैं।

पैरों और आंखों के पास सूजन होना

डॉ. कुमार के अनुसार शरीर में पानी जमा होना अक्सर पहला चेतावनी संकेत होता है। जब किडनी अतिरिक्त फ्लूइड को बाहर नहीं निकाल पाती, तो ये पानी शरीर में जमा होने लगता है। पैरों या आंखों के आसपास हल्की सूजन किडनी डैमेज का शुरुआती संकेत हो सकती है।

झागदार पेशाब आना

डॉ. कुमार कहते हैं झागदार या बुलबुले वाला पेशाब प्रोटीन लीक होने की ओर इशारा करता है। रात में बार-बार पेशाब आना, गहरे रंग का या चाय जैसे रंग का पेशाब या पेशाब की मात्रा कम होना इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ।

थकान और कमजोरी होना

लगातार थकान, कमजोरी या कमर के निचले हिस्से में भारीपन महसूस होना भी किडनी पर बढ़ते दबाव का संकेत हो सकता है। ये संकेत लगातार बॉडी में बने रहें तो समझ जाएं कि आपकी किडनी खतरे में है।

बीपी का हाई होना

एक्सपर्ट ने बताया ब्लड प्रेशर का हल्का बढ़ना भी गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में किडनी की अहम भूमिका होती है।

सांस फूलना

फेफड़ों में फ्लूइड जमा होने की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

लगातार खुजली

खून में गंदे तत्व बढ़ने से त्वचा में तेज और लगातार खुजली हो सकती है।

मांसपेशियों में ऐंठन होना

किडनी फेल होने पर इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से मसल क्रैम्प्स बढ़ जाते हैं।

भूख पूरी तरह खत्म होना

एडवांस स्टेज में मरीज को खाने में बिल्कुल मन नहीं लगता।

उल्टी और जी मिचलाना

शरीर में टॉक्सिन जमा होने से मतली और बार-बार उल्टी हो सकती है।

दिमाग पर असर

डॉ. कुमार बताते हैं कि “टॉक्सिन जमा होने से भ्रम, याददाश्त की कमजोरी और ध्यान लगाने में परेशानी हो सकती है।

डायबिटीज किडनी को नुकसान पहुंचा रही है कैसे जानें?

डॉ. कुमार नियमित जांच की अहमियत पर जोर देते हैं। यूरिन एल्ब्यूमिन-टू-क्रिएटिनिन रेश्यो (UACR) किडनी डैमेज का सबसे शुरुआती संकेत हो सकता है। वहीं eGFR ब्लड टेस्ट यह बताता है कि किडनी कितनी अच्छी तरह गंदे तत्वों को फिल्टर कर रही है। हर डायबिटीज मरीज को ये दोनों टेस्ट साल में कम से कम एक बार जरूर कराने चाहिए। ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी करना जरूरी है, क्योंकि हाई बीपी न सिर्फ किडनी की बीमारी का कारण बनता है, बल्कि उसे और तेजी से बिगाड़ता भी है।

शुरुआती और एडवांस किडनी फेल्योर के लक्षणों में क्या फर्क है?

डॉ. कुमार बताते हैं कि शुरुआती लक्षण अक्सर किडनी से जुड़े महसूस ही नहीं होते। भूख न लगना, मुंह में धातु जैसा स्वाद, त्वचा में बदलाव, नींद न आना या सुबह-सुबह बिना वजह मतली आना, ये सभी किडनी फंक्शन गिरने से जुड़े हो सकते हैं। लेकिन लोग इसे डायबिटीज की थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।

समय रहते पहचान क्यों जरूरी है?

डॉ. कुमार के अनुसार किडनी फंक्शन गिरने की कोई एक तय समय-सीमा नहीं होती। कई डायबिटिक मरीजों में यह प्रक्रिया सालों तक धीरे-धीरे चलती है, लेकिन जैसे ही साफ लक्षण दिखने लगते हैं, स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है। एक्सपर्ट ने बताया अगर समय रहते लक्षण पहचान लिए जाएं, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाए और समय पर इलाज किया जाए तो किडनी फेल होने की रफ्तार को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है।

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