What are the early signs of diabetes? देश और दुनिया में डायबिटीज मरीजों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। डायबिटीज को साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है।  2024 में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में अनुमानित 8.9 करोड़ वयस्कों को टाइप 2 डायबिटीज है। ये एक ऐसा मेटाबॉलिक डिजीज है जिसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये धीरे-धीरे हमारी बॉडी के अंगों जैसे दिल,किडनी,लंग्स और आंखों को नुकसान पहुंचाने लगता है। जब शरीर धीरे-धीरे डायबिटीज की गिरफ्त में आता है तो हमारी बॉडी उसके छोटे-छोटे संकेत भेजना शुरू कर देती है। समय रहते डायबिटीज के लक्षणों को समझ लिया जाए तो इस बीमारी को कंट्रोल करना आसान हो जाता है।
 
डायबिटीज से पहले की स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके आसानी से प्री डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक मधुमेह से पीड़ित कुछ लोगों में लक्षण हल्के होते हैं तो किसी में ज्यादा होते हैं जिसपर लोगों का ध्यान नहीं जाता। अगर समय रहते डायबिटीज के लक्षणों को समझ लिया जाए तो आसानी से इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि ब्लड में शुगर का स्तर हाई होने पर हमारी बॉडी कौन-कौन से संकेत देती है।  

बिना किसी कारण अचानक वजन में बदलाव होना

अनजाने में वजन बढ़ना या घटना दोनों ही बढ़ते ब्लड शुगर का संकेत हो सकते हैं। कुछ लोगों में उच्च इंसुलिन स्तर वसा संचय को बढ़ावा देता है, खासकर पेट के आसपास। वहीं कुछ लोगों का शरीर ऊर्जा के लिए मांसपेशियों को ब्रेक करने लगता है क्योंकि ग्लूकोज सही तरीके से उपयोग नहीं होता। किसी भी तरह बॉडी शेप में बदलाव अक्सर मेटाबॉलिक असंतुलन का शुरुआत संकेत होता हैं।

गर्दन या बगल के हिस्से में स्किन का काला होना

गर्दन, बगल या जांघ के क्षेत्र में हल्की वेलवेट जैसी काली स्किन होने को Acanthosis Nigricans कहते हैं। स्किन में इस तरह का बदलाव साफ संकेत देता है कि इंसुलिन का स्तर बहुत अधिक है। यह शरीर की साइलेंट चेतावनी है कि शुगर कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है।

लगातार प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना

जब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है तो किडनी अतिरिक्त ग्लूकोज निकालने के लिए अधिक काम करती हैं। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है और लगातार प्यास लगती है। इसे अक्सर डिहाइड्रेशन या गर्म मौसम का असर समझ लिया जाता है, लेकिन यह वास्तव में शरीर का संकेत है कि शुगर संतुलन बिगड़ गया है।

पैरों में सूजन और फूलना

टखनों या पैरों में लगातार सूजन ब्लड शुगर हाई होने का एक शुरुआती संकेत हो सकता है। यह तब होता है जब बदलते हुए ब्लड शुगर का स्तर परिसंचरण और किडनी के कार्य को प्रभावित करने लगता हैं, जिससे शरीर में फ्लूइड जमा हो जाता है। समय के साथ हाई ग्लूकोज रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है और सूजन बढ़ जाती है। अक्सर यह शाम को या लंबे समय तक बैठे रहने के बाद और बढ़ जाती है।

मोटी या भारी गर्दन

गर्दन में अचानक मोटापा या बढ़ा हुआ फैट सिर्फ वजन बढ़ने का संकेत नहीं है। अध्ययन बताते हैं कि गर्दन का मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध का स्ट्रांग संकेत हो सकता है। जब गर्दन और कंधों में फैट जमा होने लगता है, तो यह शरीर का तरीका है यह दिखाने का कि इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं कर रहा और अतिरिक्त ग्लूकोज वसा के रूप में जमा हो रहा है। यह पैटर्न मेटाबॉलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है।

पीठ के ऊपरी हिस्से पर छोटा उभार

पीठ के ऊपरी हिस्से पर हंप जैसा उभार, जिसे अक्सर  Buffalo Hump कहा जाता है। ये हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है, खासकर हाई कोर्टिसोल स्तर की वजह से। यह स्तर अक्सर शरीर में लंबे समय तक तनाव या इंसुलिन प्रतिरोध होने पर बढ़ता है। हालांकि इसे आमतौर पर कुसिंग सिंड्रोम से जोड़ा जाता है, यह प्रीडायबिटीज में भी देखा जा रहा है। यह शरीर का संकेत है कि हार्मोन और मेटाबॉलिज़्म असंतुलित हैं।

हाथ-पैरों में झुनझुनी होना

हाथ-पैरों में हल्की झुनझुनी, सुई जैसी चुभन या कभी-कभी सुन्नपन को नजरअंदाज न करें। ये शुरुआती संकेत हैं कि बदलते शुगर स्तरों के कारण नसों पर दबाव पड़ रहा है। यदि इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह डायबिटिक न्यूरोपैथी में बदल सकता है, लेकिन शुरुआती चरण में यह समय पर देखभाल और जीवनशैली सुधार से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

डायबिटीज से कैसे करें बचाव

हाथ-पैरों में हल्की झुनझुनी, सुई जैसी चुभन या कभी-कभी सुन्नपन को नजरअंदाज न करें। ये शुरुआती संकेत हैं कि बदलते शुगर स्तरों के कारण नसों पर दबाव पड़ रहा है। यदि इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह डायबिटिक न्यूरोपैथी में बदल सकता है, लेकिन शुरुआती चरण में यह समय पर देखभाल और जीवनशैली सुधार से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

डायबिटीज से बचाव करना चाहते हैं तो छोटे छोटे लेकिन लगातार प्रयास करें। स्वस्थ आदतों को अपनाएं। पानी ज्यादा पिएं, बॉडी को एक्टिव रखें। संतुलित आहार का सेवन करें और वजन कंट्रोल करें। तनाव को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। तनाव नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नींद लें और एक्सरसाइज करें। इस सरल लाइफस्टाइल को अपनाकर डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती हैं।

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