नहाते समय पेशाब करना एक ऐसा विषय है जिस पर ज्यादातर लोग खुलकर बात नहीं करते, लेकिन ये काफी नॉर्मल बात है। अक्सर लोग नहाते हैं तो बीच में पेशाब कर लेते हैं और उन्हें इस आदत से कोई रिस्क महसूस नहीं होता। कुछ लोग ठंडे पानी से नहाते हैं तो उन्हें पेशाब लग जाता है, ज्यादा गर्म पानी से नहाने से भी पेशाब आने लगता है। गर्म पानी शरीर को आराम देता है और रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, इससे मूत्राशय और पेल्विक फ्लोर मसल्स थोड़े रिलैक्स हो जाते हैं, जिससे पेशाब डिस्चार्ज करने की इच्छा बढ़ सकती है। स्नान करते समय शरीर मानसिक और शारीरिक रूप से आराम में होता है।

मांसपेशियों के रिलैक्स होने से मूत्राशय को खाली करने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। लेकिन अगर आपकी ये आदत है तो इस आदत को बदल लीजिए। नहाते समय पेशाब आना कई बीमारियों का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं कि नहाते समय पेशाब करने की आदत से कौन-कौन सी परेशानियां हो सकती हैं।

मूत्राशय और पेल्विक फ्लोर मसल्स पर पड़ सकता है असर

क्लाउडनाइन हॉस्पिटल में ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंट और एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. शैली शर्मा के मुताबिक नियमित रूप से शावर में पेशाब करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे पेल्विक फ्लोर मसल्स पूरी तरह से रिलैक्स नहीं हो पाती हैं, जिससे मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं होता। इससे यूरिन रिटेंशन हो सकता है, जो समय के साथ संक्रमण, ब्लैडर स्टोन और किडनी की समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है।

बोन एंड बर्थ क्लिनिक में ऑब्स्टेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. गाना श्रीनिवास के मुताबिक शावर में पेशाब करना खुद में मूत्राशय के लिए बड़ा खतरा नहीं बनाता, लेकिन यह आदत कई परेशानियां पैदा कर सकती है। नहाते समय पानी की आवाज़ और जल की अनुभूति शरीर में मूत्र त्याग की आदत को ट्रिगर कर सकती है। इसे वैज्ञानिक रूप से पेल्विक फ्लोर रिफ्लेक्स कहा जाता है। नहाते समय पेशाब करने की आदत उन लोगों के लिए समस्या हो सकती है जिनमें पेल्विक फ्लोर की कमजोरी है। खड़े होकर बार-बार पेशाब करने से पेल्विक फ्लोर मसल्स पूरी तरह सक्रिय नहीं होती, जिससे समय के साथ यह कमजोर हो सकती है।

साफ-सफाई और हाइजीन की कमी भी बढ़ा सकती है परेशानी।

डॉ. श्रीनिवास कहती हैं कि शावर में पेशाब करना हाइजीन के लिए चिंता का कारण हो सकता है। यूरिन में बैक्टीरिया और अमोनिया हो सकते हैं, जो गंध पैदा कर सकते हैं और हानिकारक सूक्ष्मजीवों के विकास में योगदान कर सकते हैं जो सेहत के लिए खतरा है। पेशाब शरीर से निकलते समय आम तौर पर स्टरल (निर्जीव) होता है, फिर भी यह स्किन या आसपास के बैक्टीरिया का माध्यम बन सकता है। इसलिए नियमित रूप से एंटीबैक्टीरियल क्लीनर से शावर की सफाई करना जरूरी है। सही ड्रेनेज और बार-बार पानी से धोने से हाइजीन संबंधी जोखिम कम किया जा सकता है।

नहाते समय पेशाब करने से पुरुषों और महिलाओं पर होता है अलग असर

डॉ. शर्मा के अनुसार, नहाते समय पेशाब करने का असर पुरुषों और महिलाओं पर शारीरिक संरचना के अंतर के कारण अलग अलग असर होता है। पुरुषों में प्रोस्टेट मूत्राशय और यूरिनरी ट्रैक का कारण बनता है, जबकि महिलाओं में यह परेशानी नहीं होती। महिलाएं शावर में खड़े होकर पेशाब करते समय मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती हैं, जिससे मूत्र पूरी तरह नहीं निकलता और संक्रमण, ब्लैडर स्टोन तथा पेशाब पर कंट्रोल करने का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ के मुताबिक पुरुष आमतौर पर खड़े होकर पेशाब करते हैं, जिससे पेल्विक फ्लोर मसल्स पर कम असर पड़ता है। महिलाओं में खड़े होकर पेशाब करने पर पेल्विक मसल्स पूरी तरह सक्रिय नहीं होतीं, जिससे समय के साथ पेशाब पर कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, पुरुष और महिलाओं में पेशाब करने का तरीका अलग होता है, जिससे महिलाओं के पैरों और पैरों के आसपास मूत्र का संपर्क अधिक हो सकता है, जो हाइजीन संबंधी चिंता बढ़ा देता है।

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