Uric Acid Blood Test: पहले के समय में उम्रदराज लोगों में यूरिक एसिड की अधिकता की समस्या देखने को मिलती थी। इसके वजह से उन्हें उठने-बैठने में परेशानी, हमेशा जोड़ों में दर्द और उंगलियों मे सूजन की शिकायत रहती थी। पर आज के बदलते परिवेश और खराब जीवनशैली के कारण 30 साल की उम्र में भी लोग गठिया व गाउट जैसी बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। शरीर के जोड़ों और टिश्यूज में यूरिक एसिड की अधिकता से कई लोगों को गाउट नाम की बीमारी हो जाती है। बता दें कि यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरीन (purine) नामक केमिकल का संसाधन करता है यानि उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है। ऐसे में इससे जुड़े टेस्ट करवानी जरूरी हो जाता है।
यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट: आमतौर पर हाई यूरिक एसिड को लोग ज्यादा अहमियत नहीं देते हैं लेकिन कई बार ये समस्या गंभीर रूप ले लेती है। शरीर में पर्याप्त मात्रा से अधिक यूरिक एसिड कई अंगों को प्रभावित करता है, यहां तक कि इससे किडनी भी सुचारू रूप से कार्य करने में अक्षम हो जाती है। ऐसे में यूरिक एसिड ब्लड टेस्ट करवाने से ये पता चलता है कि ब्लड सैंपल में यूरिक एसिड कितने मात्रा में मौजूद है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बहुत अधिक मात्रा में यूरिक एसिड है, तो इस बात की संभावना है कि उसे जोड़ो के भीतर मौजूद एक सॉलिड क्रिस्टल से भयानक दर्द होगा। इसी बीमारी को गाउट कहा जाता है। कई बार यूरिक एसिड की मात्रा जानने के लिए डॉक्टर्स यूरिन टेस्ट की भी सलाह देते हैं।
टेस्ट से पहले इन बातों का रखें ध्यान: ये ब्लड टेस्ट भूखे पेट कराने की सलाह दी जाती है ताकि कोई भी चीज आपके टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित न कर सके। इसके लिए आपको टेस्ट से पहले कुछ घंटों तक उपवास करने के लिए कहा जा सकता है। साथ ही, शराब का सेवन, कुछ दवाइयां और विटामिन सी के हाई लेवल भी टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में जांच कराने से पहले आपने क्या खाया है इसकी जानकारी डॉक्टर को अवश्य दें। बता दें कि शरीर में यूरिक एसिड का नॉर्मल रेंज महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में अलग-अलग होता है।
किन्हें है टेस्ट कराने की जरूरत: यूरिक एसिड का टेस्ट कराना उनके लिए जरूरी है जिनके जोड़ों में हर वक्त दर्द रहता हो या फिर उनमें गाउट के लक्षण दिखते हों। उसके अलावा, डायबिटीज के मरीज जो कई सारी दवाओं पर निर्भर होते हैं, उन्हें भी टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। वहीं, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थरेपी से गुजरने वाले कैंसर रोगियों को अक्सर इस टेस्ट को कराने के निर्देश दिए जाते है ताकि सुरक्षा की दृष्टि से यूरिक एसिड के लेवल को कंट्रोल में रखा जा सके। इसके अलावा, वैसे लोग जो किडनी की पत्थरी से पीड़ित हैं उनमें भी जब किडनी ठीक तरीके से फिल्टर नहीं कर पाता है तो हाई यूरिक एसिड की शिकायत हो सकती है।