सर्दियों के मौसम में गठिया, जोड़ों में दर्द और गाउट जैसे रोगों से पीड़ित लोगों को अहसनीय दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान इन बीमारियों के लक्षण बढ़ जाते हैं और यह मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है। यूरिक एसिड (Uric Acid) बढ़ने के कारण बुजुर्गों में गठिया रोग की शिकायत आम है। गठिया से पीड़ित लोगों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में इस बीमारी की सही जानकारी न होने के कारण झोलाछाप डॉक्टरों की मदद से इसको और जटिल बना देते हैं।

सामान्यतः किडनी यूरिक एसिड (Uric Acid) को फिल्टर कर देता है, लेकिन कभी- कभी किडनी इसे फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है। जिसके कारण यूरिक एसिड क्रिस्टल्स के रूप में टूटकर हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगता है, जिसके कारण गाउट की बीमारी होती है। खून में मौजूद यूरिक एसिड एक तरह का केमिकल है, जो शरीर में प्यूरीन नामक प्रोटीन के टूटने से बनता है।

शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होने पर जोड़ो में दर्द, सूजन या जकड़न की स्थिति होने को ही गाउट कहते हैं। शरीर में यूरिक एसिड की नॉर्मल रेंज 3.6 से 7.5 mg/dl के बीच होती है, लेकिन अगर यदि यह बढ़कर 7.6 mg/dlहो जाए तो इस स्थिति को हाई यूरिक एसिड यानि जिसे मेडिकल भाषा में हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है। शरीर में यूरिक एसिड (Uric Acid) की बढ़ी हुई मात्रा के कारण जोड़ो में दर्द, सूजन या अकड़न की स्थिति पैदा हो जाती है।

डाइट ठीक करें: यूरिक एसिड बढ़ने पर अपने डाइट में खट्टे रसदार फल जैसे संतरा, अंगूर, टमाटर, आंवला, नारंगी, नींबू आदि एवं मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया, अमरूद, सेब, केला, बेर, बिल्व, कटहल, शलगम, पुदीना और पालक आदि को शामिल करना चाहिए। यह सभी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं।

खीरे का सेवन: यूरिक एसिड की अधिक मात्रा मुख्यतः मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोग, जैसे- डायबिटीज, मोटापा, हाइपरटेंशन एवं लंबे समय से शराब और लाल मीट का सेवन कर रहे लोगों में पाया जाता है। ऐसे में फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बल्कि ये यूरिक एसिड को भी घटाने में मदद करता है। खीरे के जूस में पोटेशियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से यह शरीर में सूजन और अकड़न से भी राहत दिला सकता है।