बॉडी में प्यूरीन नाम के प्रोटीन के टूटने से बनने वाला Uric Acid कई बीमारियों का कारण बन सकता है। आमतौर पर किडनी इसे फिल्टर करके मूत्र मार्ग के रास्ते बाहर निकाल देती है, लेकिन ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड के बनने से किडनी ऐसा करने में असमर्थ साबित होती है। इससे गठिया, जोड़ों में दर्द, सूजन जैसी बीमारी का होना आम बात है। लेकिन सही समय पर सही तरीके से यूरिक एसिड का घरेलू उपचार भी किया जा सकता है।

यूरिक एसिड कंट्रोल करने के लिए आप अपनी दिनचर्या में कुछ पेय पदार्थों को भी शामिल कर सकते हैं। आइए आपको आज ऐसे 5 पेय पदार्थों के बारे में बताते हैं जो इसे कंट्रोल करने में मददगार साबित होते हैं।

कॉफी: अमेरिकन जरनल की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि कॉफी का सेवन करने से गाउट से राहत मिलती है। जोड़ों में दर्द से भी कॉफी का सेवन करने से आराम मिल सकता है। लेकिन इसकी मात्रा की सही जानकारी के लिए आपको एक बार डॉक्टर से भी इसको लेकर सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर के कहने के बाद ही आपको इसे अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।

ग्रीन टी: आमतौर पर माना जाता है कि वजन कम करने के लिए ग्रीन टी सबसे बेहतरीन उपाय है, लेकिन ये आपके शरीर में मौजूद खून से यूरिक एसिड की मात्रा को भी कम करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीन टी सबसे ज्यादा फायदेमंद पेय पदार्थ है क्योंकि इससे जोड़ों में दर्द में आराम मिलता है।

पानी: पानी का सेवन ज्यादा करने से शरीर में मौजूद हानिकारक तत्व बाहर आ जाते हैं। पानी का ज्यादा सेवन करने से ये आराम से शरीर के बाहर आ जाते हैं। क्योंकि ज्यादा यूरिक एसिड होने की स्थित में किडनी इन्हें बाहर नहीं निकाल पाती, जिसके बाद पानी की मदद से आसानी से इसे बाहर किया जा सकता है। इसलिए रोज़ाना कम से कम 8 ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए।

कम वसा वाले डेयरी उत्पाद: हर व्यक्ति को अपनी डाइट में कम वसा वाले उत्पादों को जरूर शामिल करना चाहिए। इससे आसानी से यूरिक एसिड को कंट्रोल किया जा सकता है। क्योंकि कम वसा वाला दूध शरीर और पाचन प्रक्रिया में मददगार साबित होता है।

नींबू और संतरे का रस: इन दोनों फलों में क्रिटिक एसिड और विटामिन-सी पाया जाता है। इनका सेवन करने से शरीर में यूरिक एसिड का लेवल नियंत्रित रहता है। इसलिए कोशिश ये करनी चाहिए कि इनका रस कम से कम दिन में दो बार पिया जाए। कई स्टडीज में सामने आया है कि इससे शरीर में मौजूद अन्य हानिकारक केमिकल भी आसानी से मूत्र मार्ग के रास्ते बाहर निकल जाते हैं।