वर्तमान समय में हाई यूरिक एसिड की समस्या बेहद ही आम बन गई है। यूरिक एसिड एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ होता है जो शरीर में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। आमतौर पर शरीर में बनने वाला यूरिक एसिड किडनी द्वारा फिल्टर करके पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाता है। लेकिन जब खून में इसकी अधिकता होने लगती है तो यह क्रिस्टल्स के रूप में टूटकर हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगता है।
सीताराम भारतिया (Sitaram Bhartia Institute of Science and Research) के डॉ. मयंक उप्पल के मुताबिक यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो किडनी द्वारा फिल्टर होने के बाद शरीर से फ्लश आउट हो जाता है लेकिन जब शरीर में इसकी अधिकता होने लगती है तो किडनी भी इसे फिल्टर करने में सक्षम नहीं रह पाती, जिसके कारण यह हड्डियों के जोड़ों के बीच क्रिस्टल्स के रूप में इक्ट्ठा होने लगता है। जिससे शरीर में फिर दिक्कतें पैदा हो सकती है। इस स्तिथि को hyperuricemia कहते है।
शरीर में ज़्यादा यूरिक एसिड (uric acid in hindi) से क्या हानि हो सकती है ?
डॉ. मयंक उप्पल बताते हैं कि शरीर में प्यूरीन नामक तत्व के टूटने से यूरिक एसिड नाम का केमिकल बनता है। प्यूरीन एक तरह का प्रोटीन है जो शरीर के सेल्स और कुछ खाद्य पदार्थों से मिलकर बनता है। जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है तो इसे मेडिकल टर्म में हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है।
जब खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है तो फिर नुकीले क्रिस्टल बनने लगते हैं जो बाद में शरीर के किसी भी हिस्से के जोड़ में या फिर किडनी में जा कर जमने लगते हैं। हड्डियों के जोड़ों में जमने के कारण ये क्रिस्टल गाउट जैसी बीमारी का कारण बनते हैं। किडनी में जमने पर ये किडनी स्टोन्स या पथरी बनाने लगते है। दोनों स्थिति ही हमारे शरीर के लिए हानिकारक है।
डॉ. मयंक उप्पल के मुताबिक मरीज को अपने दर्द को नजरअंदाज न करके जांच के लिए जाना चाहिए। अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ी हुई है और लम्बे समय से यह समस्या है और उसका इलाज न किया जाए तो आगे चल के यह हड्डियों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है और तो और यह किडनी और दिल रोगों के भी कारण बन सकता है।
किन कारणों से शरीर में यूरिक एसिड (uric acid in hindi) की मात्रा बढ़ सकती है ?
डॉ. मयंक उप्पल के बताया कि Hyperuricemia कई कारणों से हो सकता है जैसे की, वे खाद्य पदार्थ खाने से जिसमें प्यूरिन की मात्रा अधिक हो जैसे की –चिकन का लीवर, एन्कोवी (नमकीन स्वाद की छोटी मछली, सार्डीन मछली, सूखे बीन्स और मटर, मशरुम और मोटापा, डायबिटीज या मधुमेह, बहुत ज़्यादा शराब पीना, कमज़ोर किड्नीस जो सही मात्रा में यूरिक एसिड छान कर शरीर से नहीं निकाल पाते यूरिक एसिड का कारण बनते हैं।
जब पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तब उसके क्रिस्टल्स बनने लगते है जो इकट्ठा होकर किडनी स्टोन्स या पथरी बनाने लगते है। डॉक्टर मयंक के अनुसार अक्सर कम पानी पीने के कारण हमारा पेशाब गाढ़ा हो जाता है जिससे इन क्रिस्टल्स से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली (AIIMS) के रुमोटोलॉजी विभाग (Rheumatology Department) के पूर्व वरिष्ठ रुमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर लक्ष्मण मीणा के मुताबिक यूरिक एसिड बढ़ने पर मांसपेशियों में दर्द, सूजन की शिकायत होती है, जिन लोगों को अर्थराइटिस है उनके लिए ये दर्द सहन कर पाना और भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए आप यूरिक एसिड को कम करने के लिए इनका सेवन कर सकते हैं।
ऐसे में अपने डाइट में खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, अंगूर, टमाटर, आदि एवं अमरूद, सेब, केला, बेर, बिल्व, कटहल, शलगम, पुदीना, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया और पालक आदि को शामिल करना चाहिए। यह सभी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं।