डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। डायबिटीज को अगर लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया जाए तो इस बीमारी से दिल के रोगों का खतरा, किडनी और लंग्स को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटीज का असर बॉडी पर स्लो प्वाइजन की तरह करता है। अगर इसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये बॉडी के जरूरी अंगों को बेकार कर देता है। इसका असर आंखों को भी प्रभावित करता है। डायबिटीज दो तरह की होती है एक टाइप-1 डायबिटीज तो दूसरी टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-1 डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है जबकि टाइप-2 डायबिटीज में लाइफस्टाइल और खान पान में बदलाव किया जाता है साथ ही दवा से भी इसे कंट्रोल किया जाता है।
बात करें टाइप-2 डायबिटीज मरीजों की तो कुछ लोगों की फास्टिंग शुगर हाई रहती है तो कुछ लोगों की खाने की बात की शुगर हाई रहती है। दोनों ही तरह की शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवा का सेवन करना और डाइट में बदलाव करना जरूरी है। आयुर्वेद के मुताबिक ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कुछ देसी नुस्खों भी असरदार साबित होते हैं।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण ने बताया अगर आपकी फास्टिंग शुगर हाई रहती है तो आप रोज गिलोय की जड़ को पानी में पकाकर उसका सेवन करें। इस पानी को अगर रोज कुछ हफ्तों तक पिया जाए तो आसानी से फास्टिंग से लेकर खाने के बाद तक की शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि गिलोय कैसे डायबिटीज कंट्रोल करने में संजीवनी बूटी साबित होता है और इसका सेवन कैसे और कब करें।
गिलोय कैसे डायबिटीज कंट्रोल करता है?
आचार्य बालकृष्ण ने बताया गिलोय एक ऐसी औषधि और हर्ब है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में जादुई असर करता है। आयुर्वेद में गिलोय को ‘मधुनाशिनी’ के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है डायबिटीज को खत्म करने वाला। गिलोय की एक डंठल को कूटकर अगर रोज उसे पानी में पका कर पिया जाए तो नेचुरल तरीके से इंसुलिन का उत्पादन होता है जिससे ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल रहता है। डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए गिलोय का काढ़ा, गिलोय का पाउडर या फिर गिलोय का रस निकालकर उसका सेवन कर सकते हैं। एक्सपर्ट ने बताया अगर टाइप-2 डायबिटीज योग और प्राणायाम करते हैं, पथ्य और परहेज का पालन करते हैं और गिलोय का काढ़ा पीते हैं तो आसानी से ब्लड शुगर को नॉर्मल कर सकते हैं।
गिलोय के फायदे
गिलोय जिसे अमृत भी कहा जाता है जो एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बेल के रूप में उगती है। आयुर्वेद में इस जड़ को इम्यूनिटी बूस्टर कहा जाता है। इसका सेवन करने से बॉडी में बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा होती है। इसका सेवन करने से मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी और वायरल बुखार से बचाव होता है। इसका सेवन करने से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे बुखार का इलाज करने में किया जाता है। ये बुखार को कंट्रोल करती है और बॉडी में प्लेटलेट्स बढ़ाने में मदद करती है।
पाचन को दुरुस्त करने में ये औषधी कमाल की है। इसका सेवन करने से गैस, एसिडिटी और कब्ज की परेशानी का इलाज होता है। ये मानसिक सेहत को दुरुस्त करने में भी असरदार है। इसकी बेल को अगर हफ्ते में दो से तीन बार पका कर पी लें तो डिप्रेशन का इलाज होता है। ये मानसिक शांति देता है और नींद में सुधार करता है। इसमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण भी मौजूद होते हैं जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कंट्रोल करते हैं। गिलोय का सेवन करने से स्किन की रंगत में भी निखार आता है। ये खून को साफ करता है, पिंपल्स और फोड़े-फुंसी से निजात दिलाता है।
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