उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी भी धीरे-धीरे कम होने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों को चलने-फिरने में दिक्कत आने लगती है और जोड़ों में दर्द व चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

वहीं, बढ़ती उम्र में कई लोग फिटनेस रूटीन में स्ट्रेंथ या कार्डियो एक्सरसाइज पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन इस उम्र में बॉडी के लचीलेपन पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी होता है। ऐसे में अगर रोजाना कुछ मिनट स्ट्रेचिंग की जाए तो बॉडी का लचीलापन बरकरार रखा जा सकता है। यह एक्सरसाइज शरीर को चुस्त बनाती है और दर्द से राहत भी दिलाती है।

टोन30 पिलेट्स (Tone30 Pilates) की चीफ फिटनेस कंसल्टेंट और पिलेट्स ट्रेनर डॉ. वजल्ला श्रावणी (Vajalla Shravani) कहती हैं कि स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता बेहतर हो जाती है। इससे जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।

डॉ. वजल्ला श्रावणी के मुताबिक, स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ता है और अकड़न कम होती है। स्ट्रेचिंग से बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। नियमित तौर पर स्ट्रेचिंग करने से जोड़ स्वस्थ रहते हैं।

कैट-काउ पोज (Cat-Cow Pose)

कैट-काउ पोज रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखने के लिए बेहतर होता है। इस योगासन को करने के लिए अपने हाथों और घुटनों पर आएं। सांस अंदर लें और पीठ को नीचे झुकाते हुए सिर ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए पीठ को गोल करें और ठोड़ी को छाती की ओर लाएं। यह योगासन रीढ़ की जकड़न को कम करने के साथ-साथ कोर मसल्स को भी मजबूत बनाता है।

सीटेड फॉरवर्ड बेंड (Seated Forward Bend)

सीटेड फॉरवर्ड बेंड यानी बैठे हुए आगे की ओर झुकने वाला स्ट्रेच, हैमस्ट्रिंग, पिंडली और लोअर बैक की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठें। पैरों को सीधे रखें और धीरे-धीरे आगे झुकते हुए पैरों की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें।

चेस्ट ओपनर स्ट्रेच (Chest Opener Stretch)

बॉडी का पोश्चर सुधारने के लिए आप चेस्ट ओपनर स्ट्रेच कर सकते हैं। दरअसल, डेस्क पर लंबे समय तक बैठने या मोबाइल देखने से कंधे आगे की ओर झुकने लगते हैं। यह स्ट्रेच पेक्टोरल मसल्स को खोलता है और सही पोश्चर बनाए रखने में मदद करता है। इसे करने के लिए पहले सीधे खड़े होकर हाथों को पीठ के पीछे जोड़ें और उन्हें हल्का ऊपर उठाएं। अब छाती को आगे की ओर फैलाएं और गहरी सांस लें।

हिप फ्लेक्सर स्ट्रेच (Hip Flexor Stretch)

लंबे समय तक बैठे रहने के कारण कूल्हों के मसल्स सख्त हो जाते हैं। इन्हें फ्लेक्सिबल बनाने के लिए आप हिप फ्लेक्सर स्ट्रेच कर सकते हैं। इस योगासन को करने के लिए एक पैर को आगे और दूसरे को पीछे जमीन पर टिकाएं। धीरे-धीरे कूल्हों को आगे की ओर धकेलें। यह स्ट्रेच कमर की जकड़न को कम करता है और पेल्विक मसल्स को सही स्थिति में लाता है।

स्टैंडिंग साइड स्ट्रेच (Standing Side Stretch)

साइड बॉडी के लिए आप स्टैंडिंग साइड स्ट्रेच कर सकते हैं। यह स्ट्रेच शरीर के किनारों यानी ऑब्लिक और इंटरकॉस्टल मसल्स को सक्रिय करता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हों, दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे एक साइड की ओर झुकें। कुछ सेकेंड रुकें और फिर दूसरी साइड करें।