आजकल बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण थायराइड की समस्या तेजी से बढ़ रही है। थायराइड एक अहम ग्रंथि संबंधी रोग है, जिसमें गले के पास मौजूद थायराइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन का संतुलन बनाए रखती है। जब इस ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर में कई तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, सही डाइट और लाइफस्टाइल अपनाकर थायराइड को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
थायराइड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म, वजन, ऊर्जा स्तर और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं। जब हार्मोन जरूरत से ज्यादा बनने लगते हैं, तो इसे हाइपरथायराइड कहा जाता है और जब कम बनने लगते हैं, तो हाइपोथायराइड की समस्या होती है। आजकल फास्ट फूड, तनाव, नींद की कमी और फिजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण यह बीमारी आम हो गई है।
थायराइड के आम लक्षण
ब्रिटिश थायराइड फाउंडेशन के अनुसार, थायराइड की बीमारी में शरीर कई संकेत देने लगता है। इनमें अचानक वजन बढ़ना या घटना, हर समय थकान और सुस्ती महसूस होना, बालों का झड़ना, त्वचा का रूखा होना, नींद न आना या बहुत ज्यादा नींद आना, डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, पीरियड्स में गड़बड़ी, कब्ज या दस्त जैसी समस्याएं शामिल हैं। अगर लंबे समय तक ये लक्षण बने रहें, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी हो जाता है।
महिलाओं में ज्यादा क्यों होती है थायराइड की समस्या
बत्रा हेल्थकेयर के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा के मुताबिक, महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले थायराइड की समस्या ज्यादा देखी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में करीब 200 मिलियन लोग थायराइड से पीड़ित हैं। हर 8 में से 1 महिला को थायराइड की परेशानी होती है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसका खतरा लगभग 8 गुना ज्यादा होता है। हार्मोनल बदलाव, प्रेग्नेंसी और तनाव इसके बड़े कारण माने जाते हैं।
थायराइड के लिए फायदेमंद सुपरफूड्स
थायराइड को कंट्रोल करने में डाइट की भूमिका बेहद अहम होती है। आयोडीन थायराइड हार्मोन बनाने के लिए सबसे जरूरी तत्व है। इसकी कमी से हाइपोथायराइड की समस्या हो सकती है। ऐसे में आयोडीन युक्त नमक, समुद्री मछली, दूध और दही को डाइट में जरूर शामिल करें।
सेलेनियम और जिंक क्यों हैं जरूरी
सेलेनियम थायराइड हार्मोन के लेवल को संतुलित रखने में मदद करता है। अंडे, सूरजमुखी के बीज, ब्राजील नट्स, मशरूम और चना सेलेनियम के अच्छे स्रोत हैं। वहीं, जिंक की कमी भी थायराइड हार्मोन को प्रभावित कर सकती है। इसके लिए साबुत अनाज, कद्दू के बीज, बीन्स और दालों का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
प्रोटीन, फल और सब्जियों का महत्व
प्रोटीन मेटाबॉलिज्म को बेहतर करता है, जो थायराइड मरीजों के लिए जरूरी है। अंडे का सफेद हिस्सा, पनीर, दही और दालें प्रोटीन के अच्छे विकल्प हैं। इसके साथ ही फाइबर से भरपूर फल और सब्जियां जैसे सेब, गाजर, पालक और शकरकंद पाचन को दुरुस्त रखते हैं और वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
किन चीजों से बनाएं दूरी
थायराइड की समस्या में कुछ चीजों से परहेज करना भी जरूरी है। फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकोली और मूली जैसी क्रूसीफेरस सब्जियों का ज्यादा सेवन थायराइड ग्रंथि पर असर डाल सकता है। इसके अलावा ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, सोया प्रोडक्ट्स, अधिक कैफीन और शुगर हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
थायराइड कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। सही डाइट, नियमित व्यायाम, तनाव से दूरी और पर्याप्त नींद लेकर इस समस्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। अगर समय रहते ध्यान दिया जाए, तो थायराइड के साथ भी एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जिया जा सकता है।
डिस्क्लेमर
यह स्टोरी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार की गई है। किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या डाइट में परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
