Colon Cancer: आजकल के बिगड़ते लाइफस्टाइल और खराब खानपान के चलते कई तरह बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ऐसे ही एक जानलेवा बीमारी कोलन कैंसर है, जो अब युवाओं को भी तेजी से अपना शिकार बना रहा है। कोलन कैंसर को पारंपरिक रूप से वृद्ध लोगों की बीमारी माना जाता है, लेकिन अब ये युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। दुनिया भर के युवाओं में कोलन कैंसर के मामलों में तेजी आई है। रिसर्च के मुताबिक, 50 साल से कम आयु के लोगों में कोलन कैंसर का खतरा ही अधिक नहीं, बल्कि अक्सर उनमें अलग-अलग लक्षण भी दिखाई देते हैं।
कैसे होता है कोलन कैंसर
कोलन कैंसर यानी गैस्ट्रिक कैंसर पेट की अंदरूनी लेयर में शुरू होता हैं और धीरे-धीरे ये बढ़कर पेट में गहराई तक फैलने लगता है। कोलन कैंसर बड़ी आंत (कोलन) में शुरू होता है। ये कैंसर बड़ी आंत की वॉल के सबसे पास होता है। बॉडी में इस कैंसर की शुरुआत होते ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं।
ताइवान के चांग गंग मेमोरियल अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया कि कोलन कैंसर के मरीज खास तौर पर 50 साल से कम उम्र के हैं, जो शुरुआती लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं और फिर आगे चलकर कैंसर का चरण अधिर बढ़ जाता है। युवा मरीजों में मलाशय से रक्तस्राव, मल त्याग की आदतों में बदलाव और पेट में दर्द आदि लक्षण शामिल हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना ही गंभीर स्थिति पैदा करती है।
रिसर्च में यह भी पता चला कि जवान लोगों में कोलन कैंसर लगातार बढ़ रहा है। साल में कोलन कैंसर के मामलों में 3.2 प्रतिशत और रेक्टल कैंसर के मामलों में 3.3% की तेजी आई है। ऐसे में वयस्कों के बीच अधिक जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता अधिक हो गई है।
नगरभावी के फोर्टिस अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सलाहकार डॉ. भरत ने कलोन कैंसर के मुख्य लक्षणों पर पहचानने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से मलाशय से रक्तस्राव, जो चिंताजनक हो सकता है लेकिन हमेशा कैंसर से संबंधित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कोलन कैंसर के अलावा बवासीर, सूजन और आंत्र रोग (आईबीडी) भी मलाशय से रक्तस्राव के सामान्य कारण हैं, लेकिन लगातार या बिगड़ते लक्षणों के लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देना चाहिए।
युवाओं में देखे जाने वाले लक्षण
- बार-बार या भारी मात्रा में मलाशय से रक्तस्राव
- मल में रक्त या काला मल
- पेट में दर्द, ऐंठन या बेचैनी
- कमजोरी, थकान या बिना किसी कारण के वजन घटना
- मल त्याग की आदतों में लगातार परिवर्तन, जैसे कि दस्त या कब्ज और पतले मल
अध्ययन के मुताबिक, युवा रोगियों में कोलन कैंसर अधिक आक्रामक होता है, जिसमें सिग्नेट-रिंग सेल और म्यूसिनस एडेनोकार्सिनोमा जैसे कैंसर अधिक बार होते हैं। कैंसर के इन रूपों का अक्सर बाद के चरणों (III और IV) में निदान किया जाता है, जिससे उपचार अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
जल्दी पता लगाना क्यों महत्वपूर्ण
कोलन कैंसर से बचने के लिए समय रहते इसका पता लगाना बहुत जरूरी है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी अब 45 साल की उम्र में कोलन कैंसर की नियमित जांच शुरू करने की सलाह देती है, जो कि पहले के दिशा-निर्देशों में बताए गए समय से पहले है।