डिजिटल दौर में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। हम इसे हर जगह, हर समय साथ ले जाते हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक, हर पल लोग मोबाइल से जुड़े रहते हैं। टॉयलेट जाना हो तो भी स्मार्टफोन को साथ लेकर जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टॉयलेट में स्मार्टफोन को लेकर जाना न सिर्फ हानिकारक होता है, बल्कि गंभीर बीमारी को जन्म भी दे सकता है।

हाल ही में PLOS ONE जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी के मुताबिक, टॉयलेट में मोबाइल का इस्तेमाल आपकी सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, टॉयलेट पर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों में बवासीर का खतरा लगभग 46% तक बढ़ जाता है।

बवासीर का कारण

बवासीर या पाइल्स गुदा और मलाशय की नसों में सूजन आने से होने वाली समस्या है। यह वैरिकोज वेन्स की तरह होती है, जिसमें नसें फूल जाती हैं। बवासीर दो प्रकार की होती हैं। एक आंतरिक बवासीर, जो मलाशय के अंदर होती है और दूसरी बाहरी बवासीर जो गुदा के बाहर त्वचा के नीचे होती है। इसके लक्षणों में गुदा में दर्द, खुजली, सूजन, मल त्याग के दौरान खून आना या गुदा के पास गांठ बनना शामिल है। यह जानलेवा नहीं होती, लेकिन जीवन की गुणवत्ता को काफी प्रभावित कर सकती है और बार-बार हो सकती है।

क्या कहते ही स्टडी

इस रिसर्च में 125 वयस्क प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जो कोलोनोस्कोपी करा रहे थे। उनसे उनकी टॉयलेट आदतों, स्मार्टफोन इस्तेमाल, डाइट में फाइबर की मात्रा, एक्सरसाइज और बवासीर के लक्षणों के बारे में सवाल किए गए। जिसमें

करीब 66.4% लोगों ने माना कि वे टॉयलेट पर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, स्मार्टफोन यूज करने वाले लोग टॉयलेट पर औसतन 5 मिनट से ज्यादा समय बिताते हैं।

इसके बाद उम्र, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स, एक्सरसाइज और डाइट जैसे फैक्टर्स को कंट्रोल करने के बाद भी पाया गया कि स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों में बवासीर का खतरा 46% अधिक है। रिसर्च में मल त्याग के समय जोर लगाने को लेकर बवासीर के बीच कोई खास संबंध नहीं पाया गया। इसका मतलब है कि बवासीर का सबसे मुख्य कारण लंबे समय तक बैठना है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, लंबे समय तक टॉयलेट सीट पर बैठने से गुदा और मलाशय की नसों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जबकि स्क्वैटिंग यानी उकड़ू बैठने की पोजीशन में मल त्याग जल्दी और आसानी से होता है, वहीं पश्चिमी टॉयलेट पर बैठने से यह समय बढ़ जाता है। स्मार्टफोन पर वीडियो देखने, सोशल मीडिया स्क्रॉल करने या ईमेल पढ़ने जैसी गतिविधियां हमें टॉयलेट पर और देर तक रोकती हैं, जिससे नसों पर लगातार दबाव बना रहता है। यही बवासीर का बड़ा कारण बन सकता है।

हेल्थ इम्पैक्ट और खर्च

बवासीर दुनियाभर में सबसे आम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं में से एक है। हर साल लाखों लोग इसके लिए डॉक्टर के पास जाते हैं और इलाज पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। गंभीर मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।

बवासीर से बचाव क्या करें

एक्सपर्ट के अनुसार, कुछ आसान आदतें अपनाकर इस खतरे को कम किया जा सकता है। टॉयलेट टाइम 5 मिनट से कम रखें। काम खत्म होते ही उठ जाएं। फोन बाथरूम में न ले जाएं। इससे अनावश्यक समय बढ़ने से बचेगा। फूटस्टूल का इस्तेमाल करें। पैरों को हल्का ऊंचा करने से स्क्वैटिंग जैसी पोजिशन मिलती है और मल त्याग आसान होता है। फाइबर युक्त डाइट लें। फल, सब्जियां और साबुत अनाज से कब्ज कम होती है। इसके अलावा पर्याप्त पानी पिएं, क्योंकि हाइड्रेशन पाचन को सही रखता है।

वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।