बच्चेदानी यानी गर्भाशय महिलाओं के शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है। महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाली बीमारी में से एक होती है यूट्रस (Uterus) में गांठ, जिसे लोग आम भाषा में बच्चेदानी में गांठ से भी जानते हैं। इस बीमारी के दौरान महिला के बच्चेदानी में उसकी दीवार के अंदर बहार दोनों तरफ कई प्रकार की गांठे आ जाती हैं। इनमें से अधिकांश गांठें कैंसर की नहीं होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह गांठें कैंसर की भी हो सकती हैं, जो की सिर्फ सर्जरी से ही हटाई जा सकती है और ऐसा बहुत ही कम मामले में पाया जाता है। अधिकतर ये गांठें सामान्य होती हैं, जो लाइफस्टाइल और खानपान के चलते होती हैं।
आईवीएफ डॉक्टर डॉ. रीता बक्शी ने बताया कि बच्चेदानी में गांठ यानी रसौली क्यों होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। डॉ. रीता बक्शी के मुताबिक, ये गांठें अधिकतर 25-40 की आयु के बीच में होती हैं। जिन स्त्रियों में एस्ट्रोजन अधिक होता है, उनमें फाइब्रॉइड यूट्रस और कैंसर दोनों का खतरा ज्यादा होता है।
बच्चेदानी में गांठ (यूट्रस में गांठ) होने के कारण
गर्भाशय में रसौली यानी गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या जेनेटिक भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को ये बीमारी है तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। इसके अलावा ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतार-चढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक कारण हो सकते हैं। हालांकि, फाइब्रॉइड बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि 99 फीसदी ये बीमारी बिना कैंसर वाली होती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान तेजी से बढ़ती है रसौली
भले ही यूट्रस में कोई फाइब्रॉइड छोटा सा हो, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान वह भी गर्भ की तरह ही बढ़ने लगता है। शुरुआती महीनों में इसकी ग्रोथ ज्यादा तेजी से होती है। इसमें बहुत दर्द और ब्लीडिंग होती है, कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
प्रोसेस्ड फूड्स
प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने से भी रसौली हो सकती है। इनमें पोषक तत्वों की कमी होती है और यह शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं, जो फाइब्रॉइड्स के आकार को बढ़ा सकता है। इसका सीधा असर बच्चेदानी पर पड़ सकता है। ऐसे में प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
मैदा
मैदा का अधिक सेवन भी बच्चेदानी में गांठ का कारण बन सकता है, क्योंकि मैदा या मैदा से बनी चीजें जल्दी से पचती नहीं हैं और चर्बी बढ़ाना का काम करती हैं। ऐसे में मैदा से परहेज करना चाहिए।
तली-भुनी चीजें
अधिक तली-भुनी चीजों का सेवन करने से भी बच्चेदानी में गांठ होने का खतरा बढ़ सकता है। ऑयली चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इससे समस्या गंभीर हो सकती है।
कैफीन और चीनी
बच्चेदानी में गांठ होने पर कैफीन और चीनी से परहेज करना चाहिए। जैसे चाय, कॉफी और सोडा ड्रिंक्स आदि का सेवन रसौली को बढ़ा सकते हैं। इसी तरह ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन करने से भी बच्चेदानी में गांठ की समस्या बढ़ सकती है।
वहीं, NCBI में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लिवर को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ए और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में जरूर होनी चाहिए।