हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल अच्छी ज़िंदगी के लिए जरूरी है। हेल्दी डाइट ना सिर्फ हमारी बॉडी की हेल्थ को प्रभावित करती है बल्कि हमारे ब्रेन की हेल्थ को भी प्रभावित करती है। आजकल लोगों की मसरूफियत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग हेल्दी डाइट पर ध्यान नहीं देते और तनाव में रहते हैं। जिंदगी में निराशा और चिंता तनाव के लक्षण हैं। वारविक यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर डॉ. स्वर्ण प्रीत सिंह ने इस बारे में सदगुरु से बात की।
ब्रेन की हेल्थ पर डाइट कैसे असर करती है इस बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताया कि आपकी खाने-पीने की आदतें ब्रेन की हेल्थ को प्रभावित करती हैं। सदगुरु के मुताबिक बासी खाना हमारे ब्रेन की सेहत को बिगाड़ सकता है। सदगुरु ने बताया कि खाना पकने के 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे के अंदर उसे खा लेना चाहिए। अगर हम एक से डेढ़ घंटे तक खाना नहीं खाते तो उसमें तमस यानी जड़ता आनी शुरू हो जाती है। आइए सदगुरु से जानते हैं कि हेल्दी डाइट कैसे आपके ब्रेन की हेल्थ को दुरुस्त करती है।
ब्रेन हेल्थ और डाइट का संबंध
ब्रेन हेल्थ और डाइट एक दूसरे से जुड़ी हुई है। सद्गुरु सभी को एक सरल प्रयोग करने की सलाह देते हैं। सदगुरु ने लोगों को एक प्रयोग करने की सलाह दी कि एक सप्ताह तक एकदम ताजा भोजन खाएं, फिर इसके बाद एक या दो महीने तक प्रिजर्व फूड्स खाएं फिर देखें। आप साफतौर पर अपने शरीर की सतर्कता और ऊर्जा में अंतर देखेंगे। सद्गुरु ने बताया कि सही प्रकार के ताजा पके हुए भोजन से ही आपकी सेहत अच्छी रह सकती है। ऐसे खाने से शरीर को मिलने वाला ओजस आपको लंबा और स्वस्थ जीवन देता है।
सदगुरु ने बताया कि योगिक संस्कृति में शरीर के अंदर सेलुलर स्तर पर एक गैर-आयामी ऊर्जा की बात की जाती है, जिसे ओजस कहते हैं। अगर आपके शरीर की हर कोशिका ओजस से भरपूर है तो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
सद्गुरु के साथ इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम में भी मानव शरीर पर कई प्रकार के भोजन के प्रभाव के मूल सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की जाती है। योगिक संस्कृति के अनुसार, भोजन आपके पेट की थैली में ढाई घंटे से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए। भोजन के पाचन के बाद हमारा पेट जल्द से जल्द खाली हो जाना चाहिए क्योंकि इसी अवस्था में शरीर में सबकुछ अच्छे से काम करता है।
कब्ज कैसे दिमाग को करता है प्रभावित
कब्ज भी कई बार मानसिक समस्याओं को जन्म देती है। बृहदान्त्र स्वास्थ्य एक ऐसी चीज़ है जिसे आज पूरी तरह से नजरअंदाज़ किया जा रहा है। अगर आप अपने पेट को साफ नहीं रखते तो दिमाग को संतुलित स्थिति में रखना बहुत मुश्किल है।
विरुद्ध आहार से परहेज करें
सद्गुरु विरुद्ध आहार की बात करते हुए कहते हैं कि एक समय में एक ही तरह की चीज खाना चाहिए और उस समय कुछ भी ऐसा नहीं खाना चाहिए जो उसके विपरीत काम करता हो वरना शरीर के अंदर संघर्ष और तनाव की स्थिति बनती है। उदाहरण के लिए आप मांस खाते हैं जो वसायुक्त होता है। अगर आप इसे अकेले खाएंगे तो उतना नुकसान नहीं होगा। लेकिन बिरयानी जैसे पकवान में आपने उसके साथ चावल और घी मिला दिया,जिससे नुकसान बड़ा होगा, क्योंकि ये 2 चीजें एक साथ पाचन में समस्या पैदा करेंगी। यही कारण है कि कोई भी मांसाहारी भोजन दूध या दूध से संबंधित खाद्य पदार्थों के साथ नहीं खाना चाहिए।
मानसिक समस्याओं से बचाव के अलावा इससे जूझ रहे पीड़ित लोगों के बारे में सद्गुरु कहते हैं कि इसके लिए मानक दृष्टिकोण की जगह दयालु नजरिए की जरूरत है। एक ही तरीके को सबके मानसिक उपचार के लिए मानक बनाना बहुत मूर्खतापूर्ण बात होगी क्योंकि हर इंसान अलग तरह का होता है।