खराब पाचन शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। खराब पाचन आंत की खराबी का कारण बन सकता है। पाचन खराब होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे अनियमित डाइट का सेवन करने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है। खराब डाइट जैसे अधिक वसायुक्त और मसालेदार भोजन, पाचन को खराब कर सकता है। तनाव और गतिहीन जीवनशैली पाचन के खराब होने का कारण बनती है। आंतों में खराबी होने पर पेट दर्द, गैस और ब्लोटिंग, दस्त या कब्ज और भूख न लगने जैसी परेशानियां होने लगती हैं।

जब आंतों (Intestines) में गंदगी या टॉक्सिन्स ज़्यादा जमा हो जाते हैं तो शरीर इसके संकेत देने लगता है। ये संकेत कई बार मामूली लगते हैं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। जब आंतों में टॉक्सिन या मल जमा होने लगता है और आंतें साफ़ नहीं होती तो पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे कब्ज, गैस, या ब्लोटिंग जैसी समस्याएं होने लगती हैं। आंतों में गंदगी जमा होने पर बॉडी में 5 लक्षण दिखते हैं जैसे

  • कब्ज, गैस और ब्लोटिंग
  • बेहद थकान और कमजोरी
  • स्किन से जुड़ी परेशानियां जैसे मुहांसे और डल स्किन
  • मुंह से दुर्गंध आना
  • ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत और मूड स्विंग हो सकता है।

सदगुरु जग्गी वासुदेव ने बताया अगर आप पाचन से जुड़ी परेशानियों से तंग हैं और आंतों में जमा गंदगी को बाहर निकालना चाहते हैं तो आप डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करें। आप आंतों की गंदगी को साफ करने के लिए योग का सहारा लें। तनाव को दूर करके और मानसिक स्थिति को दुरुस्त करके ही आप अपने पाचन को दुरुस्त कर सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक अगर आप रात भर नहीं सोते हैं, तनाव में रहते हैं और खराब पाचन से जूझ रहे हैं तो सबसे पहले आप बॉडी के शुद्धिकरण (purging) पर ध्यान दें।

आप अपने कोलन को साफ करके बेहद सुकून महसूस करेंगे। आपकी कोलन साफ होगी तो आपकी बॉडी को सुकून महसूस होगा। आइए सदगुरु से जानते हैं कि पेट को क्लीन करने के लिए कौन से तीन तरीके बेस्ट है। ये तरीके कैसे कोलन को क्लीन करते हैं।

नीम और हल्दी से करें कोलन का शुद्धीकरण

नीम और हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर हर्ब्स हैं जिसका सेवन करने से आंतों का शुद्धिकरण होता है। ये दोनों हर्ब्स आंतों से टॉक्सिन को बाहर निकालते हैं और पाचन को दुरुस्त करते हैं। सदगुरु ने बताया अगर आप नीम और हल्दी की रोज दो-दो गोली खाते हैं तो आपका पाचन तंत्र साफ होता है। नीम के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जबकि हल्दी में करक्यूमिन होता है जो सूजन कंट्रोल करता है। रोजाना इन दोनों चीजों का सेवन करने से आंतों में जमा गंदगी साफ होती है और पाचन दुरुस्त रहता है।

त्रिफला से करें आंतों को शुद्ध

आयुर्वेद के मुताबिक त्रिफला आंतों की सफाई करने और पाचन को दुरुस्त करने में जादुई असर करता है। त्रिफला तीन औषधीय फलों से मिलकर बना होता है जिसमें  आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है, ये तीनों हर्ब्स आंतों से टॉक्सिन्स बाहर निकालते हैं और आंतों को हेल्दी रखते हैं। त्रिफला पाचन अग्नि को बैलेंस करता है जिससे पाचन दुरुस्त रहता है और पेट में जमा सारे टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। त्रिफला हल्का रेचक (mild laxative) है, जो मल को सॉफ्ट करके आंतों को आसानी से साफ़ करता है। इसका सेवन करने से आंतों की सूजन कंट्रोल रहती है। त्रिफला शरीर से गंदे बैक्टीरिया को मारता है और गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है जिससे आंतों का संतुलन सही रहता है।

अरंडी के तेल का करें सेवन

आयुर्वेद के मुताबिक अरंडी का तेल पाचन को दुरुस्त करने में और आंतों की सेहत को दुरुस्त करने में जादुई असर करता है। आयुर्वेद में इसे पाचन तंत्र को शुद्ध करने, कब्ज़ को दूर करने और आंतों की सफाई करने के लिए उपयोग किया जाता है। अरंडी का तेल आंतों के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे पाचन तंत्र में गति बनी रहती है। अरंडी का तेल शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालता है और आंतों की सफाई करता है। आप सोने से पहले रोजाना दूध के साथ एक चम्मच अरंडी के तेल का सेवन करें तो सुबह उठते ही आपका पेट साफ हो जाएगा।

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