उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में कई शारीरिक बदलाव आते हैं। इन्हीं में से एक प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना है। यह समस्या 60 वर्ष के बाद अधिकतर पुरुषों में देखी जाती है। मुंबई के डॉ. एल. एच. हिरानंदानी हॉस्पिटल, पवई के यूरोलॉजी एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. सुरेश भगत के मुताबिक, प्रोस्टेट एक अखरोट के आकार की ग्रंथि होती है, जो मूत्राशय यानी ब्लैडर के ठीक नीचे स्थित रहती है। उम्र बढ़ने के साथ इसका आकार बढ़ जाता है और यह यूरेथ्रा यानी मूत्रमार्ग तथा ब्लैडर नेक पर दबाव डालती है, जिससे पेशाब से जुड़ी कई परेशानियां शुरू होती हैं।

डॉ. सुरेश भगत के मुताबिक, 60 साल के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना आम है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान और समय पर उपचार से अधिकांश मरीज बिना सर्जरी के स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। बार-बार पेशाब लगना, कमजोर फ्लो और पेशाब के बाद बूंदें टपकना जैसे संकेतों को नजरअंदाज न करें और तुरंत यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। ऐसे में समय रहते कदम उठाना ही इस समस्या से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। डॉ. सुरेश भगत के अनुसार, प्रोस्टेट बढ़ने के शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है, ताकि समय रहते इलाज किया जा सके।

बार-बार पेशाब लगना

बार-बार और अचानक पेशाब की तीव्र इच्छा होना इसका सबसे आम और पहला लक्षण है। यह रात की नींद और दिनचर्या दोनों को प्रभावित करता है। कई बार पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है।

पेशाब का धीमा और कमजोर बहाव

प्रोस्टेट के बढ़ने से यूरेथ्रा पर दबाव पड़ता है, जिससे पेशाब का फ्लो कमजोर और धीमा हो जाता है। समय के साथ यह समस्या बढ़ती जाती है।

जोर लगाना

पेशाब करने के लिए पेट पर दबाव डालना पड़ता है, जो असुविधाजनक हो सकता है। इसके अलावा पेशाब शुरू करने में देरी या कठिनाई होना भी प्रोस्टेट बढ़ने का कारण हो सकता है।

पेशाब के बाद टपकना

पेशाब खत्म होने के बाद भी कुछ बूंदें टपकना। यह असहज और शर्मिंदगी भरा हो सकता है। ऐसे लक्षणों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है। इन्हें नजरअंदाज करना आगे चलकर हानिकारक हो सकता है।

पेशाब का रिसाव

कभी-कभी मूत्राशय की मांसपेशियों के संकुचन के कारण पेशाब का अनियंत्रित रिसाव हो सकता है। हालांकि, यह लक्षण कम देखा जाता है, लेकिन जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसके साथ ही पेशाब का बहाव बीच में कई बार रुकना और फिर शुरू होना। इससे टॉयलेट में ज्यादा समय लग सकता है।

कैसे रखें ध्यान और बचाव

डॉ. भगत के अनुसार, शुरुआती जांच से लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है और गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत आवश्यक है। तरल पदार्थों का संतुलित सेवन, कैफीन और अल्कोहल से परहेज और रात को सोने से पहले पानी कम पीना चाहिए। डॉ. भगत के मुताबिक, अधिकतर मामलों में लाइफस्टाइल में सुधार और दवाएं लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में कारगर होती हैं। समय पर इलाज न होने पर बार-बार संक्रमण, मूत्राशय को नुकसान और किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।