लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर शरीर से विषाक्त पदार्थों यानी टॉक्सिन को निकालता है। ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करता है। खून के थक्के को कंट्रोल करता है। प्रोटीन को संश्लेषित करता है। इसके अलावा लिवर भोजन को पचाने में मदद करने वाले रसायनों का उत्पादन करता है। सीधे शब्दों में कहें तो लिवर पाचन, डिटॉक्सिफिकेशन और मेटाबॉलिज्म का मुख्य अंग है। जब लिवर बीमार या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो सेहत भी बिगड़ने लगती है। इसके चलते ही कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। एशियन अस्पताल के डायरेक्टर और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमित मिगलानी ने लिवर से जुड़ी 5 गंभीर बीमारियां बताई हैं। जिनका समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकती हैं।

डॉ. अमित मिगलानी ने बताया कि हमारे शरीर में कई जरूरी अंग होते हैं, लेकिन लिवर एक ऐसा ऑर्गन है, जो हर 500 से ज्यादा काम करता है। लिवर में गड़बड़ी होने लगे तो, पूरा शरीर प्रभावित हो जाता है। उन्होंने बताया कि लिवर से जुड़ी 5 खतरनाक बीमारियां हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फैटी लिवर रोग, लिवर कैंसर और लिवर फेलियर हैं। हालांकि, इन समस्याओं का इलाज किया जा सकता है, लेकिन समय रहते सही देखभाल और केयर से ही ऐसा संभव है।

लिवर सिरोसिस

सिरोसिस लिवर टिशू पर व्यापक घाव बनने की प्रक्रिया है। यह शराब या हेपेटाइटिस जैसी स्थितियों से लॉन्ग टर्म डैमेज के कारण होता है। जैसे ही स्वस्थ कोशिकाएं घाव वाले ऊतकों से प्रतिस्थापित होती हैं, लिवर की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इससे थकान, सूजन, पीलिया और आंतरिक रक्तस्राव जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। सिरोसिस की समस्या होने पर लिवर फेल या लिवर कैंसर हो सकता है।

हेपेटाइटिस बी, सी

हेपेटाइटिस बी और सी वायरल संक्रमण हैं, जो लिवर में सूजन पैदा करते हैं। इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या सी वर्षों तक चुपचाप लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे सिरोसिस या लीवर कैंसर हो सकता है। ये दोनों वायरस संक्रमित रक्त के माध्यम से, असुरक्षित यौन संबंध के माध्यम से, या प्रसव के दौरान मां से बच्चे में फैलते हैं।

गैर-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर

गैर-अल्कोहल फैटी लिवर तब होता है, जब शराब का सेवन किए बिना लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। इसका कारण मोटापा, शुगर और सही पोषण नहीं लेना होता है। इसके गंभीर रूप को नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) कहा जाता है, जिससे सिरोसिस और लिवर फेल हो सकता है।

लिवर कैंसर

इसे हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा के नाम से भी जाना जाता है। ये अक्सर हेपेटाइटिस या सिरोसिस जैसे क्रोनिक लिवर डिजीज वाले लोगों में विकसित होना है। लिवर कैंसर का समय रहते इलाज नहीं किया जाए, तो इससे बचना मुश्किल हो सकता है। इसके लक्षणों में पेट दर्द, वजन कम होना और पीलिया शामिल हो सकते हैं।

एक्यूट लिवर फेलियर

एक्यूट लिवर फेलियर यह बहुत ही कम होता है, लेकिन किसी को ये स्थिति हो जाए तो ये गंभीर हो सकती है। इसके चलते लिवर की कार्यक्षमता तेजी से कम हो जाती है। यह अक्सर कुछ ही दिनों में प्रकट हो जाता है। यह दवा की अधिक खुराक (जैसे पैरासिटामोल), वायरल इंफेक्शन या ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण हो सकता है।

कैसे करें बचाव

  • नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराएं।
  • संतुलित और कम फैट वाली डाइट फॉलो करें।
  • शराब और धूम्रपान से बचें।
  • रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
  • वजन कंट्रोल रखें।
  • हेपेटाइटिस-B का टीका लगवाएं।

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