बदलता मौसम में नई ताजगी और राहत लेकर आता है, लेकिन बारिश के दिनों में जलभराव और नमी के कारण कई बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी तेजी से पनपते हैं। जिसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है। खराब खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते पेट से जुड़ी बीमारियां और इंफेक्शन भी तेजी से बढ़ जाते हैं। ऐसे में सेहत का ख्याल रखना बहुत ही आवश्यक है।
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, कानपुर के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. साद अनवर के मुताबिक, गलत तरीके से तैयार या परोसा गया खाना, खराब स्वच्छता और दूषित पानी हानिकारक कीटाणुओं का घर बन जाता है। इसका असर हल्के पेट दर्द से लेकर जानलेवा बीमारी तक हो सकता है, अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
बच्चों और बुजुर्गों में सबसे ज्यादा खतरा
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. साद अनवर के मुताबिक, दूषित खाना और पानी, बिना किसी चेतावनी के संक्रमण फैला सकते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण उन्हें संक्रमण जल्दी पकड़ लेता है। ऐसे में बदलते मौसम में बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखना चाहिए।
डायरिया
बारिश के दिनों में दूषित खाना और पानी ई. कोलाई, साल्मोनेला और शिगेला जैसे बैक्टीरिया फैला सकते हैं। इससे बार-बार दस्त, उल्टी, तेज बुखार और पेट में तेज ऐंठन हो सकती है। कई बार संक्रमण खून तक पहुंचकर गंभीर समस्या भी पैदा कर सकता है।
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस को आम भाषा में स्टमक फ्लू कहा जाता है। नोरोवायरस और रोटावायरस जैसे वायरस गंदे पानी और भोजन से फैलते हैं। इससे अचानक मिचली, पानी जैसी दस्त और डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है।
परजीवी संक्रमण
मानसून में दूषित पानी और खाने में जियार्डिया और एंटअमीबा हिस्टोलिटिका जैसे परजीवी मिल जाते हैं। यह संक्रमण लंबे समय तक रह सकता है। ऐसे में लगातार दस्त, पेट फूलना, थकान और कुपोषण आदि की समस्या हो सकती है।
फूड पॉइजनिंग और टॉक्सिन्स
कुछ सूक्ष्मजीव खराब या लंबे समय तक रखे गए खाने में टॉक्सिन्स छोड़ देते हैं। इन्हें खाने से तुरंत फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इससे दस्त, उल्टी और कमजोरी हो सकती है। ऐसे में समय पर इलाज न मिले तो शरीर में पोषक तत्वों की कमी और डिहाइड्रेशन हो सकता है।
बार-बार संक्रमण
बारिश के मौसम में लगातार दूषित खाना या पानी लेने से केवल एक्यूट इंफेक्शन ही नहीं होते, बल्कि आंतों की लाइनिंग कमजोर हो सकती है। इससे पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होता है। आगे चलकर इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम या क्रॉनिक डाइजेस्टिव डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।