शरीर जब अंदरूनी रूप अनहेल्दी होता है, तो बाहरी रूप से उस समस्या के कुछ संकेत बताता है, जिसे समय रहते पहचाना जरूरी है। आमतौर पर लोग अपने नाखूनों को काटने, संवारने में काफी ध्यान देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके नाखून बीमार भी होते हैं। मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नाखून शरीर की अंदरूनी सेहत की झलक भी दिखाते हैं। नाखूनों में छोटे-छोटे बदलाव कई बार बड़ी बीमारियों का शुरुआती संकेत होते हैं। अध्ययनों के अनुसार, नाखूनों की जांच से एनीमिया, फेफड़ों और दिल की बीमारी, लिवर की समस्या, संक्रमण और कैंसर जैसी स्थितियों का पता लगाया जा सकता है।

मेट्रो अस्पताल, नोएडा, त्वचाविज्ञान, वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. आलिया अब्बास रिजिवी ने बताया कि नाखूनों पर दिखाई देने वाले निशान किन बीमारियों के संकेत होते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, नाखूनों की नियमित देखभाल और जांच एक तेज, आसान और नॉन-इनवेसिव तरीका है जिससे शरीर की कई बीमारियों का शुरुआती पता लगाया जा सकता है। नाखून एनीमिया, क्रॉनिक लंग डिजीज, कार्डियोपल्मोनरी प्रॉब्लम, लिवर डिजीज और मेलानोमा जैसे स्किन कैंसर के शुरुआती लक्षण पकड़ सकता है।

नाखूनों पर लकीरें

नाखूनों पर होरिजेंटल गहरी लकीरें या गड्ढे जैसी लाइनें दिखें तो यह Beau’s Lines कहलाती हैं। ये तब आती हैं जब शरीर को बड़ा स्ट्रेस झेलना पड़ता है, जैसे तेज बुखार, बड़ी सर्जरी या गंभीर बीमारी। अगर, ऐसी लाइनें बिना किसी हालिया बीमारी के दिखें तो डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है। क्यूजेएम: एन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित 2017 के एक अध्ययन में बताया गया है कि ब्यूज लाइन्स सिस्टमिक तनाव के बाद नाखूनों के विकास में अस्थायी रुकावट का संकेत देती हैं।

चम्मच जैसे नाखून

नाखून ऊपर की ओर मुड़े और खोखले दिखें तो यह स्पून नेल्स कहलाता है। यह अक्सर आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया का संकेत होता है। एक साधारण ब्लड टेस्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है। स्टेटपर्ल्स में 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोइलोनीचिया आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया या सिस्टमिक बीमारी का संकेत हो सकता है।

पीले और मोटे नाखून

धीरे-धीरे बढ़ने वाले, मोटे और पीले नाखून कभी-कभी सिर्फ फंगल इंफेक्शन नहीं होते। अगर इसके साथ पैरों में सूजन, खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो तो यह येलो नेल सिंड्रोम हो सकता है। यह स्थिति लसीका तंत्र और श्वसन रोगों से जुड़ी हो सकती है। ऑर्फनेट जर्नल ऑफ रेयर डिजीजी में 2017 में प्रकाशित एक समीक्षा में इसे लिम्फेडेमा और श्वसन रोग के साथ पीले नाखून के रूप में वर्णित किया गया है।

मोटे और टूटने वाले नाखून

अगर नाखून मोटे, भुरभुरे और पीले, भूरे या सफेद रंग के हो जाएं तो यह अक्सर फंगल इंफेक्शन का संकेत है। यह समस्या आमतौर पर पैरों के नाखूनों में ज्यादा होती है। यह अपने आप ठीक नहीं होती, इसलिए डॉक्टर से दवा और इलाज लेना जरूरी है। जर्नल ऑफ फंगी की 2020 की समीक्षा में शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि अनुपचारित फंगल नाखून दर्द, संक्रमण और गतिशीलता में कमी का कारण बन सकते हैं।

लाल-भूरे पतले निशान

नाखूनों के नीचे पतली लाल या भूरे रंग की रेखाएं दिखें तो इसे स्प्लिंटर हेमरेज कहते हैं। मामूली चोट से भी हो सकता है, लेकिन अगर कई लाइनें हों तो यह दिल के इंफेक्शन (एंडोकार्डाइटिस) या ब्लड वेसल डिजीज का संकेत हो सकता है। अगर इसके साथ बुखार या थकान हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।