खराब डाइट और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से मौजूदा समय में लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) बढ़ना एक गंभीर समस्या बनाता जा रहा है। कोलेस्ट्रॉल खून की नसों में मौजूद चिपचिपा गंदा पदार्थ है जो शरीर में कोशिका झिल्ली,कुछ हार्मोन और विटामिन डी को बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसका स्तर अधिक होने से दिल के रोग,नसों के रोग,हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है।

कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है एक (LDL)एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और दूसरा एचडीएल(HDL)कोलेस्ट्रॉल। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल गंदा कोलेस्ट्रॉल होता है जिसके बढ़ने से बॉडी में कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर बॉडी में उसके लक्षणों की बात करें तो जी मिचलाना, हाथ-पैर सुन्न होना,थकान होना,सीने में दर्द,सांस लेने में कठिनाई होना,हाथ-पांव में सुन्नपन होना और हाई ब्लड प्रेशर होना कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं।

डॉक्टर सुरेंद्र वर्मा ने अपने यूट्यूब वीडियों में बताया है कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर हाथ- पैरों की उंगलियों में उसके लक्षण दिखने लगते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर पैरों में कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर पैरों में दिखने वाले लक्षण:

  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर हाई होने पर पैर ठंडे पड़े रहते हैं। पैरों का ठंडा होना सिर्फ सर्दी में ही नहीं होता बल्कि गर्म मौसम में भी पैरों का तापमान कम होता है। पैरों के ठंडे होने का कारण पैरों की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल यानि चिपचिपा पदार्थ जमने लगता है जिसकी वजह से पैरों की नसों तक ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं रहता।
  • अगर आपका एक पैर ठंडा और एक गर्म रहता है तो तुरंत कोलेस्ट्रॉल को चेक कराएं।
  • पैरों में दर्द होना कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण है। चलने फिरने से पैरों में दर्द बढ़ने लगता है। चलने फिरने पर पैरों की ऑक्सीजन सप्लाई कम होने लगती है जिसकी वजह से पैरों में दर्द की परेशानी बढ़ने लगती है।
  • पैरों की स्किन का रंग बदलना कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण हैं। पैरों में खून की कमी होने पर ब्लड सप्लाई कम होने लगती है और पैरों की स्किन का रंग बदलने लगता है। पैरों को लम्बे समय तक लटकाने से पैरों की स्किन का रंग बैंगनी दिखने लगता है।
  • पैरों में क्रैम्प पड़ना कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण है। पैरों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने लगती है जिससे पैरों में क्रैम्प आते हैं। अक्सर ये क्रैम्प रात के समय पड़ते हैं।