अस्पतालों के अलावा घर-घर में उपयोग किए जाने वाले डिजिटल थर्मामीटर, रक्तचाप (बीपी) मापने की मशीन, नेब्युलाइजर और मधुमेह रोगियों की शुगर जांच करने वाला ग्लूकोमीटर को अब औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत औषधि के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसके साथ ही 27 चिकित्सा उपकरण अब अधिनियम के तहत दवाओं की परिभाषा में आ गए हैं। इससे अब इनकी गुणवत्ता और प्रदर्शन को बनाए रखने में सरकार को सहायता मिलेगी।
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय का यह भी प्रस्ताव है कि औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के दायरे में औषधि की परिभाषा के तहत उपकरणों की सूची का विस्तार करते हुए आठ नई श्रेणियां बनाई जाएं।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) इन उपकरणों के आयात, निर्माण और बिक्री को नियंत्रित करेंगे। यह नई व्यवस्था एक जनवरी 2020 से लागू होगी। इन उपकरणों को मेडिकल उपकरण नियम 2017 के तहत तय गुणवत्ता मानकों के तहत पंजीकृत किया जाएगा। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से प्रमाणपत्र मिलने के बाद निर्धारित अन्य मानकों के तहत भी इनका पंजीकरण होगा। इस बारे में देश के सर्वोच्च दवा सलाहकारी संगठन, औषधि तकनीकी सलाहकार निकाय (डीटीएबी) ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे औषधि कानून के दायरे में नेब्युलाइजर, रक्तचाप मापक उपकरण, डिजिटल थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर शामिल हो गए हैं। मौजूदा समय में देश का औषधि नियामक गुणवत्ता के लिए केवल 23 चिकित्सा उपकरणों की निगरानी करता है। चार नए उपकरणों को अधिसूचित किए जाने के अलावा अन्य चिकित्सा उपकरण बिना किसी गुणवत्ता जांच या नैदानिक (क्लीनिकल) परीक्षणों के बेचे जाते हैं।

मंत्रालय ने अन्य उपकरणों के भी इसी दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है। इसके लिए इन आठ श्रेणियों में प्रत्यारोपण योग्य चिकित्सा उपकरण, एमआरआइ मशीन, सीटी स्कैन मशीन, डिफिब्रिलेटर, डायलिसिस मशीन, पीईटी उपकरण, एक्स-रे मशीन और अस्थिमज्जा कोशिका विभाजक शामिल हैं। प्रस्ताव में प्रत्यारोपण, एक्स-रे मशीन, एमआरआइ, डायलिसिस मशीन और सीटी स्कैन जैसे उच्च क्षमता वाले चिकित्सा उपकरणों को लाने का बात शामिल है। एक बार प्रस्ताव मंजूर हो जाने के बाद इन उपकरणों के निर्माण या आयात करने वाली कंपनियों को भारत के औषधि महानियंत्रक से आवश्यक अनुमति या लाइसेंस लेना जरूरी होगा।