लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में एक जरूरी और अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, इस बीमारी से जुड़ी जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इसके जोखिम को कम किया जा सके। जब हमारे शरीर में ज्यादा फैट जमा होने लगता है तो हमारा लिवर अपना आकार बदलकर फैटी लिवर (fatty liver) का रूप धारण कर लेता है।

बता दें कि लिवर का खराब होना पूरे शरीर की क्रियाशीलता और गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। बदलते जीवनशैली और असंतुलित डाइट प्लान के चलते लोगों को कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं। लिवर में फैट बढ़ने से अंग का आकार बढ़ जाता है। इस कारण एंजाइम्स की मात्रा बढ़ने से लिवर की क्षमता प्रभावित होती है। जिसके फलस्वरूप भीर मामलों में व्यक्ति में पीलिया, लिवर में सिकुड़ने व लिवर सिरोसिस की आशंका बढ़ती है। जॉन्डिस लीवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इससे लीवर डैमेज का खतरा बन सकता है।

दरअसल पीलिया, रक्त और शरीर की कोशिकाओं में बिलीरुबिन (पीला रंगद्रव) के बढ़ जाने की वजह से होता है। इससे पीड़ित मरीज की त्वचा और आंखें पीली पड़ जाती हैं। लिवर भोजन को पचाने, ऊर्जा को स्टोर करने के साथ शरीर के विषाक्तता को दूर करने में मदद करता है। स्वस्थ शरीर के लिए लिवर का ठीक प्रकर से कार्य करना बेहद जरुरी है। ऐसे में पीलिया से पीड़ित लोगों को पाचन और मेटाबॉलिजम को बेहतर बनाने में मदद करने वाले और लिवर को नुकसान न पहुंचाने वाले खाद्य और पेय पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है।

गन्ना: पीलिया में गन्ने का जूस पीने की सलाह दी जाती है। गन्ने का रस स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लिवर को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है। इसके लिए आप एक गिलास गन्ने के जूस में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर पी सकते हैं।

हरी सब्जियां: पीलिया के मरीजों को मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स, व्हेय प्रोटीन, और ग्रीन टी जैसे खाद्य पदार्थ को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। कुछ चुनिंदा साग-सब्जियों का सेवन कराना चाहिए। इसमें गाजर, चुकंदर, ब्रोकली, केल, पत्ता गोभी व स्वीट पोटैटो आदि को शामिल किया जा सकता है।

इनसे बचें: वसा रहित या कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अपने आहार में ताजे फलों और सब्जियों को जगह दें। उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। कार्ब्स, तली हुई चीजें, वाइट ब्रेड, ज्यादा नमक, रेड मीट के सेवन से बचें।