बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों के मुकाबले अधिक कमजोर होती है इसलिए वो कई तरह के संक्रमण के शिकार जल्दी हो जाते हैं। इसी तरह बच्चों और नवजात शिशुओं के फेफड़ें और एयरवेज़ भी प्रदूषण और अन्य कारकों के सपंर्क में आने से जल्दी संक्रमित हो जाते हैं जो अस्थमा का कारण बनता है। हम में से अधिकतर लोग सोचते हैं कि अगर बच्चे को लगातार खांसी की समस्या हो रही है तो यह अस्थमा का संकेत हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं है। इसके अलावा कई संकेत हैं जो बच्चों में अस्थमा की ओर इशारा करते हैं।

पांच साल या उससे कम उम्र के तीन बच्चों में से एक बच्चे को सर्दी-जुकाम होने या वायरल इंफेक्शन होने के दौरान खांसी की समस्या हो सकती है। अगर खांसी की समस्या कई सप्ताह तक ना रहे तो बच्चे को अस्थमा होने का खतरा नहीं होगा।

बच्चों में अस्थमा के आम लक्षण:

1. बार-बार खांसी होना
2. सांस छोड़ते वक्त सीटी या घरघर की आवाज
3. साँस लेने में परेशानी
4. सीने में बलगम का जमना
5. सीने में दर्द, खासकर छोटे बच्चों में

बच्चों में अस्थमा के अन्य लक्षण:

1. खांसी या घुटन की वजह से सोने में परेशानी
2. खांसी या घरघराहट के झटकों के सात रेस्पाइरेटरी या फ्लू इंफेक्शन
3. रेस्पाइरेटरी इंफेक्शन के बाद रिकवरी में देर या ब्रोंकाइटिस
4. सांस लेने में परेशानी जो खेल या व्यायाम को सीमित कर सकती है
5. थकान, जो खराब नींद के कारण हो सकती है

बच्चों में अस्थमा होने के कारण: बच्चों में अस्थमा होने के कारणों का स्पष्ट रुप से पता नहीं लग पाया है। बच्चों का इम्यून सिस्टम संवेदनशील होने का कारण ऐसा हो सकता है। इसके अलावा, यहां कुछ कारण दिए गए हैं।

1. अस्थमा की फैमिली हिस्ट्री
2. बहुत कम उम्र में कई प्रकार के एयरवेज़ इंफेक्शन
3. धूम्रपान, वायु प्रदूषण जैसे अन्य पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में होना

अस्थमा को बढ़ाने वाले कारक: कुछ कारक ऐसे होते हैं जो अस्थमा से ग्रसित बच्चों में इस समस्या को और अधिक बढ़ा सकते हैं। इनमें शामिल हैं

1. सामान्य सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण
2. तंबाकू का धुआं या वायु प्रदूषकों के संपर्क में आना
3. धूल के कणों, पेट डेंडर, पराग या मोल्ड से एलर्जी
4. शारीरिक गतिविधियां
5. मौसम में परिवर्तन या ठंडी हवा