तनाव एक ऐसी समस्या है जिससे तमाम लोग परेशान हैं। लोगों में तनाव की समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें व्यस्त लाइफस्टाइल या काम का अधिक दबाव भी शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर अधिक तनाव लेने से लोगों में कई अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है।
आज हम आपको ऐसी ही एक गंभीर बीमारी के बारे में बताएंगे जिसका सीधा संबंध तनाव से है। बता दें कि तनाव के कारण बाइपोलर डिसऑर्डर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से समझते हैं और जानते हैं किन लक्षणों से इस गंभीर बीमारी की पहचान की जा सकती है।
क्या होता है बाइपोलर डिसऑर्डर ? (Know What is Bipolar Disorder)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मनोरोग होता है। इस रोग को दोध्रुवी विकार के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज के मन और व्यवहार में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं। जैसे की एक समय के लिए रोगी बहुत उदास व परेशान रहेगा लेकिन कुछ समय बाद ही वह बहुत खुश या उत्सुक नजर आने लगते हैं। इसलिए इस रोग को दोध्रुवी विकार भी कहा जाता है साथ ही यह रोग मूड स्विंग्स का कारण भी बनता है।
इसके अलावा कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि रोगी चाहकर भी अपने व्यवहार को कंट्रोल नहीं कर पाता है। वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में लगभग 40 मिलियन लोग इस गंभीर बीमारी से ग्रसित थे।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
- रोगी के व्यवहार में लगातार बदलाव होना
- रोगी का तनाव में रहना
- रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा होना
- एक पल में बहुत खुश तो दूसरे पल उदास हो जाना
- बॉडी में कमजोरी महसूस होना
इन कारणों से हो सकती है बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या
- अधिक तनाव लेने के कारण
- जेनेटिक समस्या होने के कारण
- मष्तिस्क में होने वाले लगातर बदलाव के कारण
- नशीले पदार्थों का सेवन करने से
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज
मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, उन्हें इस बीमारी से ठीक होने के लिए अपनी सेहत के साथ अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखने की जरूरत होती है। रोगी किसी मनोचिकित्सक से भी संपर्क कर सकते हैं साथ ही इससे उभरने के लिए आप तनाव बिल्कुल न लें और रोजाना योग व मेडिटेशन जरूर करें। इसके अलावा अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखें और हेल्दी डाइट फॉलो करें। ऐसा करने से आपका दिमाग भी तरोताजा रहेगा और रिलैक्स भी फील करेगा। ऐसा करने से रोगी को इस बीमारी से ठीक होने में मदद मिलेगी।