गैस्ट्रिक की परेशानी दुनिया की सबसे आम समस्या है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार 40 की उम्र के बाद गैस्ट्रिक समस्याएं होने लगती हैं। जलन, सूजन या पेट की लाईनिंग का कटना, ये सभी गैस्ट्रिक समस्याओं के रूप हैं। पाचन की प्रक्रिया में गैस का बनना अनिवार्य होता है, जो कई तरह से उत्पन्न होता है।
लेकिन जब गैस शरीर से बाहर नहीं निकल पाती है, और एसिड पेट की लाईनिंग के संपर्क में आता है, तो उससे काफी परेशानी पैदा होती है। विशेषकर गैस्ट्रोइंस्टेस्टाईनल बीमारियों का जन्म होता है। जैसे सेनियैक डिज़ीज़ या इरीटेबल बॉवेल सिन्ड्रोम में गैस की समस्या बढ़ जाती है।
गैस बनने के क्या-क्या कारण क्या हैं?
HCMCT मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल दास कहते हैं कि गैस्ट्रिक समस्याओं के अनेक कारण हैं और ये हर व्यक्ति में अलग होते हैं। कुछ लोगों को खान-पान की आदतों के कारण गैस बढ़ती है, जबकि अन्य को तनाव, चिंता या दवाईयों के कारण यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। गैस्ट्रिक समस्या के कुछ मुख्य कारण ये हो सकते हैं:
खान-पान की आदतें: हमारे खानपान में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिनके सेवन के चलते शरीर में गैस का बनना बढ़ जाता है। कार्बोनेटेड पेय पदार्थ या शुगर के सब्सिट्यूट लेने से शरीर की आंतों में गैस बढ़ती है। इसी दौरान बिना चबाए तेजी से खाना खाने के वक्त लोग ज्यादा हवा निगल लेते हैं, जो पेट में पहुंच जाती है।
मेडिकल स्थितियां: कुछ लोगों को विशेष मेडिकल समस्याएं जैसे कब्ज, आंतों की बीमारी, एवं बैक्टिरिया की के बढ़नें के कारण गैस का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
किडनी स्टोन: जिन लोगों को किडनी में पथरी होती है, उन्हें गैस्ट्रिक समस्याएं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान काफी पीड़ा और उल्टी होती है।
तनाव: डॉक्टर कुणाल के मुताबिक जो लोग तनाव और चिंता से ग्रस्त होते हैं, उन्हें गैस्ट्रिक समस्याएं बढ़ जाती हैं क्योंकि तनाव से शरीर की खाना पचाने की क्षमता कम हो जाती है और पाचन की क्रिया धीमी पड़ जाती है। इसके अलावा फूड प्वाईज़निंग के कारण भी शरीर के अंदर गैस बन सकती है।
गैस्ट्रिक के क्या-क्या लक्षण हैं?
यदि व्यक्ति को गैस्ट्रिक समस्या है, तो इसका सबसे आम लक्षण गैस के बाहर निकलने में कठिनाई और आंत की समस्या है। इसके अन्य सामान्य लक्षणों में हैं:
- पेट में सूजन
- पेट में अक्सर दर्द रहना
- उल्टी
- भूख न लगना
- अल्सर
- अपच
- पेट में जलन होना
- पेट खराब होने से मिचली आना
गैस्ट्रिक समस्याओं को कैसे नियंत्रित करें?
मौजूदा समय में, अनेक कारणों से गैस्ट्रिक समस्याएं बढ़ गई हैं, लेकिन हमारे खाने-पीने के विकल्प और जीवनशैली इस समस्या को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। डॉक्टर कुणाल द्वारा बताए गए इन आदतों को अपनी दैनिक जीवनशैली में शामिल करके गैस्ट्रिक समस्याओं को कम किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
बहुत ज्यादा गैस बनने पर क्या करें?
- दैनिक आहार में फाईबर वाला खाना ज्यादा खाएं। इनमें खड़े अनाज वाला भोजन, फल, हरी पत्तीदार सब्जियां शामिल हैं।
- खाना नियत समय पर खाएं। कई मामलों में खाने के समय पर खाना न खाने के कारण गैस ज्यादा बनने लगती है।
- ढेर सारा पानी पिएं और नींबू का रस दैनिक आहार के रूप में लें।
- खाना अच्छी तरह से चबाकर खाएं। नियमित समय अंतराल के बाद थोड़ा-थोड़ा आहार लेते रहें।
- कम कार्ब, तला-भुना और फैटयुक्त आहार न लें।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट और पर्याप्त नींद लेने से गैस्ट्रिक समस्याएं ठीक होती हैं।
- मदिरा पान और धूम्रपान न करें।
- एंटी-डायरियल दवाईयों के अत्यधिक इस्तेमाल से आंतों की पेशियां समय के साथ कमजोर हो सकती हैं। इसलिए इन दवाईयों का इस्तेमाल न करें और केवल डॉक्टर के परामर्श से ही ये दवाईयां लें।
- मलत्याग की इच्छा होने पर उसे रोकें नहीं। ऐसा करने पर कब्ज हो जाएगा और शरीर में गैस ज्यादा बनने लगेगी।
- कैफीन कम मात्रा में लें।
यदि समस्या बनी रहे, तो क्या करें?
गैस्ट्रिक समस्या किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है। यह उपरोक्त सावधानियां रखे जाने के बावजूद बनी रह सकती है। यदि किसी व्यक्ति को पहले से ही गैस्ट्रिक समस्या है, तो निम्नलिखित सुझाव काफी मददगार हो सकते हैं:
ठंडा दूध, छाछ, या पुदीने का रस पिएं। इसके अलावा दैनिक आहार में सेब के सिरके को पानी में मिलाकर और लौंग को शामिल करें। साथ ही एक कप सौंफ, चैमोमील का गर्म पानी, या अदरक की चाय पेट की सूजन को कम कर सकती है, जो गैस बनने का मुख्य कारण है।