spinal Cord Injury Causes Symptoms And Treatment: रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है,जो पूरी बॉडी की संरचना और आधार देता है। लेकिन जब रीढ़ की हड्डियां फिर उसके किनारों में मौजूद नसों में किसी भी प्रकार की चोट लग जाती है,तो इसे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें से कार एक्सीडेंट, खेलने से लगने वाली चोट या फिर गिरने के कारण चोट सबसे मुख्य मानी जाती है। कई पेशेट्स में ये चोट इतनी ज्यादा गंभीर हो जाती है कि वह चल फिर पाने में भी असमर्थ हो जाता है। इस समस्या से आज के समय में युवा सबसे अधिक शिकार हो सकते हैं। आइए जानते हैं किन लाइफस्टाइल की किन गलतियों के कारण स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal Cord Injury) का सामना करना पड़ता है और कैसे करें इससे खुद का बचाव…
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक प्रो.(डॉ.) अतुल गोयल ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के बारे में बताते हैं कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के लिए सबसे जरूरी चीज है, वो है रोकथाम। खराब पोश्चर, गिरने या फिर कार ड्राइव करते समय थोड़ा ध्यान देना जरूरहा। रीढ़ की हड्डी एक बहुत ही नाजुक संरचना होती है, जिसमें नर्व और कोशिकाएं होती है, जो हमारे मस्तिष्क से बॉडी के बाकी हिस्सों में संदेश पहुंचाती है। रीढ़ की हड्डी की चोटों के सबसे खतरनाक प्रभावों का इफेक्ट आज के समय में युवाओं पर पड़ रहा है। इन लोगों के सामने पूरा जीवन बचा है। इनमें से अधिकांश चोटें पूरी तरह से टाली जा सकने वाली दुर्घटनाओं के कारण होती हैं। रीढ़ की हड्डी की चोट जीवन में लोगों को लगने वाली सबसे गंभीर चोटों में से एक है। इसलिए इसका ध्यान देना बेहद जरूरी है। हालांकि, आज के समय में मेडिकल साइंस के बदौलत लोगों को रीढ़ की हड्डी में लगी गंभीर चोट से उबरने और उसके बाद सामान्य जीवन व्यतीत करने में मदद कर रहे हैं।
अगर बॉडी के दूसरे हिस्से में जख्म हो जाता है, तो उसे कुछ समय के बाद सही कर सकते हैं। लेकिन स्पाइन और ब्रेन सेल्स ऐसे होते हैं,जो एक बार नष्ट हो गए,तो दोबारा नहीं बनतेहैं। ऐसे में इन्हें केवल मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक रिहैबिलेशन की भी जरूरत पड़ सकती है- डॉ. अतुल गोयल
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में स्पाइन और रिहैबिलिटेशन सेंटर के प्रमुख, स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. हरविंदर सिंह छाबड़ा बताते हैं कि रीढ़ की हड्डी की चोटों वाले व्यक्तियों के साहस और दृढ़ संकल्प को जाहिर किया है। इस तरह की चोटों से पीड़ित व्यक्ति अपनी चुनौतियों के बावजूद जीवन में आगे बढ़ते हैं। स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे देखभाल और रिहैबिलिटेशन में हमारे द्वारा की गई प्रगति को दर्शाता है। रोकथाम, प्रारंभिक हस्तक्षेप और रिहैबिलिटेशन सहित व्यापक मैनेजमेंट में हमारे चल रहे प्रयास प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हम शिक्षा, रिसर्च और सहानुभूतिपूर्ण मदद के माध्यम से रीढ़ की हड्डी की देखभाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि सभी के लिए सम्मान और संतुष्टि सुनिश्चित हो सके।”
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में सीट बेल्ट न पहनने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में 16,397 लोगों की जान चली गई, जिनमें 8,438 ड्राइवर और 7,959 यात्री शामिल हैं। यह आंकड़ा चोट की रोकथाम और सुरक्षा जागरूकता में निरंतर प्रयासों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है।- डॉ छाबड़ा
लाइफस्टाइल की कौन सी आदतें स्पाइनल कॉर्ड इंज्यूरी का कारण बन सकती है? (Causes Of Spinal Cord Injury)
डॉ. हरविंदर सिंह छाबड़ा का कहना है कि सबसे ज्यादा रीढ़ की हड्डी की चोट कारण कार आदि चढ़ाने से होता है। ज्यादा स्पीड में गाड़ी चढ़ाना, सीट बेल़्ट न पहनकर गाड़ी चलाना, ड्रिंक ड्राइव या फिर मोबाइल आदि चढ़ाने के आदि के कारण रीढ़ की हड्डी पर चोट लग सकती है। इसके अलावा स्पोर्ट्स खेलते समय कुछ नियमों का पालन न करने के कारण भी आपकी रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा सर्वाइडकल माइथोपैथिक, गलत पोश्चर, एक्सरसाइज आदि न करने के कारण रीढ़ में स्ट्रेन पड़ जाते हैं। जिसके कारण भी रीढ़ की चोट का कारण बन सकता हैय़
रीढ़ की हड्डी की चोट के लक्षण (Symptoms Of Spinal Cord Injury )
- अगर आपको कमर का दर्द हो और ट्रीटमेंट लेने के बावजूद सही न हो रहा हो।
- बुखार होना
- सुबह के समय अधिक कमजोरी
- यूरीन और मल त्याग में कंट्रोल न हो।
- पैरों में तेजी से कमजोरी बढ़ रही हो।
- हाथ, पैरों की उंगलियों में सुन्नता, झुनझुनी बने रहना
- चलने में बैलेंस होना
- चोट लगने के बाद सांस लेने में समस्या होना
डॉक्टर को कब दिखाएं
डॉ छाबड़ा के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के सिर या फिर गर्दन में चोट लगी है,तो उसे तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
कई बार रीढ़ की हड्डी की चोट का तुरंत पता नहीं चलता है। अगर आपका किसी भी प्रकार का एक्सीडेंट हुआ है,तो अपना अधिक ख्याल रखें और किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आते हैं,तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आपके हाथ, पैर की उंगलियां ,सुन्न हो रही है,तो दिखाएं।
लगातार कई सप्ताह तक कमर का दर्द नहीं जा रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
रीढ़ की हड्डी की चोट को लेकर जागरूकता बेहद जरूरी
बता दें कि हर साल 1-7 सितंबर को राष्ट्रीय रोकथाम सप्ताह मनाया जाता है। इसको लेकर हर साल कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में हर साल नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) में प्रोग्राम रखा जाता है। जिसमें रीढ़ की हड्डी की चोट को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। इस साल स्पाइन केयर (रीढ़ की हड्डी की देखभाल) के एक्सपर्ट्स ने देश भर की 14 राष्ट्रीय रीढ़ की हड्डी की देखभाल करने वाली समितियों के साथ मिलकर विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया