खर्राटे लेना एक आम बीमारी बनता जा रहा है। आज इसकी चपेट में बच्चे से लेकर युवा वर्ग तक शामिल हैं। स्वास्थ्य की बेहद आम-सी लगने वाली इस समस्या का प्रभाव इतना जबर्दस्त होता है कि इससे आपके करीबियों का सुख-चैन छिन जाता है। लोगों में एक भ्रामक धारणा है कि खर्राटे गहरी नींद में होने के कारण आते हैं, पर खरार्टे आना अच्छे स्वास्थ्य का सूचक नहीं है। कभी-कभार लिया गया खर्राटा बहुत गंभीर नहीं है, लेकिन अगर आप आदतन खर्राटा लेते हैं, तो आप न केवल अपने करीबी लोगों की नींद में बाधा पहुंचाते हैं, बल्कि आप खुद की नींद की गुणवत्ता को भी बाधित करते हैं। नवीन हॉस्पिटल वैशाली के डॉक्टर संजय विनायक कहते हैं कि खर्राटे लेना कोई आदत नहीं, बल्कि एक बीमारी है। इसे स्लीप एपनिया भी कहते हैं। अगर कोई लंबे समय से खर्राटे ले रहा है, तो उसे डॉक्टर से तुरंत इलाज करवाना चाहिए।

हो सकती है गंभीर बीमारी
खर्राटों का लंबे समय से लेना गंभीर बीमारी की ओर इशारा करता है। डॉ. संजय विनायक के मुताबिक खर्राटा लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और ब्लड प्रेशर से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा भी व्यक्ति कई और गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है।

पुरुषों को आते हैं ज्यादा खर्राटे
यह बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा है। पुरुषों में इस बीमारी के होने की आशंका महिलाओं से लगभग दो गुना होती है। सामान्यत: चालीस से साठ वर्ष की उम्र के लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं, लेकिन अब किशोर और युवा भी इस बीमारी के शिकार बन रहे हैं। डॉ विनायक बताते हैं कि नवजात भी कभी-कभी खर्राटे लेते हैं, लेकिन ऐसा उनके नाक के बंद होने या गले में खरास होने के कारण होता है।

कारण
’अधिक वजन खर्राटे के प्रमुख कारणों में से एक है। मोटे लोगों में यह बहुत आम समस्या है।
’छोटे बच्चों में इसका कारण उनके नाक में होने वाली रुकावट है। नाक का मस्सा, नाक बंद होने या सर्दी-जुकाम के कारण भी बच्चे खर्राटे लेते हैं।
’उम्र बढ़ने के साथ गले का संकरा होना और मांसपेशियां ढीली पड़ना।
’सोते समय श्वसन में खर्राटों के कारण अवरोध आ जाता है। कई बार तो सांस इतनी अवरुद्ध हो जाती है कि व्यक्ति बेचैनी और घुटन के कारण हड़बड़ा कर उठ बैठता है। यह सब आॅक्सीजन की कमी के कारण होता है।
’कई बार वायुमार्ग के पास अतिरिक्त टिश्यू जमा हो जाते हैं या वायुमार्ग से जुड़ी मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, जिससे वायु के प्रवाह में रुकावट आती है। इससे सांस सामान्य रूप से नहीं आती और खर्राटे की समस्या शुरू हो जाती है।
’सर्दी और खांसी होने पर भी खर्राटे आते हैं, हालांकि ये खर्राटे अस्थायी होते हैं।
’श्वसन प्रणाली या नासिका मार्ग में किसी तरह की रुकावट या बाधा होने पर खर्राटे आते हैं। खर्राटा आने का मतलब है कि हमारी सांस में कहीं न कहीं कोई रुकावट हो रही है।
’सांस की बीमारी वाले मरीजों को भी खर्राटे की समस्या होती है।

घरेलू इलाज संभव नहीं
कुछ मरीजों को करवट लेकर सोने से खर्राटे नहीं आते, जबकि कुछ को नॉजल ड्रॉप्स डालने से आराम मिलता है। हालांकि परेशानी बढ़ने पर मरीज को गले का आॅपरेशन भी करवाना पड़ सकता है। डॉ विनायक कहते हैं कि खर्राटों का कोई घरेलू इलाज नहीं हो सकता। इसके लिए तो मरीज को चिकित्सीय उपचार ही कराना होगा। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ही तरीके का उपचार सही नहीं होता। यह व्यक्ति के लक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार से पहले मरीज के खर्राटों का कारण जानना होगा कि आखिर ये खर्राटे क्यों हो रहे हैं। फिर इसके आधार पर मरीज का उपचार किया जाता है।