आजकल फैशन की दुनिया में फिटेड और टाइट कपड़ों का ट्रेंड खूब चल रहा है। टाइट कपड़े स्टाइल और पर्सनैलिटी को निखारते हैं, लेकिन शरीर पर लगातार दबाव डालने वाले फिटेड और टाइट कपड़े सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। टाइट कपड़े त्वचा, नसों और अंगों पर दबाव डालते हैं, जिससे जलन, सुन्नता, सांस लेने में परेशानी और ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ सकता है। वहीं, लंबे समय तक टाइट कपड़े पहनने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है, जिनमें पाचन तंत्र खराब, नसों में पुराना दर्द, ब्लड सर्कुलेशन, मस्कुलोस्केलेटल तनाव और त्वचा संबंधी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्चगेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाइट कपड़े पहनने से शरीर के अंगों में ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है।

त्वचा में जलन और खुजली

टाइट कपड़े त्वचा से लगातार रगड़ खाते हैं, जिससे लालपन, खुजली और कभी-कभी चकत्ते हो जाते हैं। कमर, जांघ और बगलों जैसी जगहों पर यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। लगातार रगड़ से त्वचा की नैचुरल प्रोटेक्टिव लेयर कमजोर हो जाती है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

नसों पर दबाव

बहुत टाइट जींस, बेल्ट या लेगिंग्स नसों पर दबाव डालते हैं। इससे सुन्नपन, झुनझुनी या हल्का दर्द महसूस हो सकता है। अगर लंबे समय तक रोज ऐसा हो तो यह दबाव बढ़कर नसों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।

सांस लेने में दिक्कत

छाती या पेट के आसपास टाइट कपड़े पहनने से डायफ्राम पूरी तरह फैल नहीं पाता। इससे सांस लेने में परेशानी हो जाती है। जिसके चलते शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और थकान, कमजोरी और सांस फूलने जैसी समस्या सामने आती है।

ब्लड सर्कुलेशन बाधित

टाइट जींस, मोजे या बेल्ट खून की नलियों को दबाते हैं, जिससे पैरों या शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इसका नतीजा सूजन, दर्द या वैरिकोज वेन्स के रूप में सामने आ सकता है। गंभीर मामलों में खून के थक्के यानी ब्लड क्लॉट बनने का भी खतरा रहता है।

पाचन संबंधी दिक्कत

लगातार पेट और कमर पर दबाव डालने वाले कपड़े एसिडिटी, गैस और IBS जैसी समस्याएं बढ़ा सकते हैं। इससे पेट में जलन, फूला हुआपन और असहजता बनी रहती है।

संक्रमण का खतरा

महिलाओं में टाइट सिंथेटिक कपड़े और अंडरगारमेंट्स नमी को फंसा लेते हैं। इससे प्राइवेट पार्ट्स में यीस्ट इंफेक्शन और अन्य बैक्टीरियल संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। वेंटिलेशन यानी हवा का उचित प्रवाह न होना इस समस्या का मुख्य कारण है।

नसों में लगातार दर्द

बार-बार दबाव पड़ने से नसें कमजोर हो जाती हैं। इससे क्रॉनिक दर्द, सुन्नपन और झुनझुनी लंबे समय तक बनी रह सकती है।

हड्डियों और मांसपेशियों पर दबाव

टाइट बेल्ट, कॉर्सेट या कमर को कसकर पहनने वाले कपड़े शरीर की नैचुरल पॉश्चर को बिगाड़ते हैं। नतीजतन पीठ, गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत होती है, जो आगे चलकर क्रॉनिक बैक पेन या जॉइंट पेन का कारण बन सकती है।

वहीं, NCBI में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लिवर को हेल्दी रखने के लिए विटामिन ए और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा शरीर में जरूर होनी चाहिए।