अक्सर खाना खाते समय, दोस्तों के साथ बैठते हुए या कुर्सी पर आराम से सिकुड़कर बैठना (क्रॉस-लेग्ड) आरामदायक लगता है और क्रॉस-लेग्ड बैठना लगभग हर किसी की आम आदत होती है। क्योंकि इस तरह से बैठने से आरामदायक महसूस कराता है, लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, ज्यादा देर तक क्रॉस-लेग्ड बैठना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यह आदत शरीर पर गहरा असर डाल सकती है। यह आदत धीरे-धीरे आपकी रीढ़, पेल्विस, मसल्स और सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकती है।
बीएमसी स्पोर्ट्स साइंस, मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से क्रॉस-लेग्ड बैठते हैं, उनकी कमर की पोजीशन को पहचानने की क्षमता कमजोर पाई गई। वहीं, PubMed में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, क्रॉस-लेग्ड बैठने से पेल्विस का झुकाव बढ़ता है और रीढ़ पर असमान दबाव पड़ता है। चलिए आपको बताते हैं लंबे समय तक क्रॉस-लेग्ड बैठने के नुकसान और इन्हें कम करने के उपाय क्या हैं।
बैलेंस की समझ कम होना
हमारी कमर की हड्डी को स्थिर रखने में शरीर की प्रोप्रियोसेप्शन यानी पोजिशन सेंस अहम भूमिका निभाती है। रिसर्च के मुताबिक, जो लोग रोजाना तीन घंटे से ज्यादा क्रॉस-लेग्ड बैठते हैं, उनमें बैक पोजिशन को समझने की क्षमता घट जाती है। ऐसे में व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उसकी पीठ सीधी है या झुकी हुई और धीरे-धीरे यह आदत खराब पोस्चर का कारण बन जाती है।
पेल्विस का झुकाव और असमान दबाव
क्रॉस-लेग्ड बैठना शरीर के वजन को बराबर नहीं बांटता। यह पेल्विस के एक हिस्से को ऊपर उठा देता है, जिससे पेल्विक ऑब्लिक्विटी की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही ग्लूटियल मसल्स यानी कूल्हों की मांसपेशियों पर दबाव असमान रूप से पड़ता है। यह स्थिति लो बैक पेन वालों के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकती है।
रीढ़ की नैचुरल कर्व में बदलाव
हमारी रीढ़ में नेचुरल अंदर की ओर कर्व होता है, जिसे लम्बर लॉर्डोसिस कहते हैं। लंबे समय तक क्रॉस-लेग्ड बैठने से यह कर्व सपाट हो जाता है। इससे स्लाउचिंग यानी झुककर बैठने से रीढ़ और डिस्क पर दबाव ज्यादा पड़ता है। समय के साथ यह समस्या क्रॉनिक बैक पेन में बदल सकती है।
हिप और पेल्विक मसल्स पर खिंचाव
क्रॉस-लेग्ड बैठने से हिप का छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण मसल पिरिफॉर्मिस असामान्य रूप से खिंच जाता है। इसके अलावा रीढ़ और पेल्विस को जोड़ने वाले सैक्रोइलियक जॉइंट्स पर दबाव बढ़ता है। लगातार ऐसा करने से पेल्विस की स्थिरता प्रभावित हो सकती है और चलने-फिरने के तरीके पर असर पड़ सकता है।
कोर बैलेंस कम होना
क्रॉस-लेग्ड बैठना सिर्फ लोअर बॉडी ही नहीं, बल्कि अपर बॉडी पर भी असर डालता है। इस स्थिति में छाती की मूवमेंट घट जाती है। कुछ एब्डॉमिनल मसल्स की एक्टिविटी भी कम हो जाती है, जिससे ट्रंक की स्थिरता घटती है। लंबे समय में यह सांस लेने की क्षमता और शरीर के बैलेंस को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा सुबह उठते ही कुछ लक्षण दिखाई देने पर भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना अधिक हो जाती है, इन साइन को भी इग्नोर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।