डायबिटीज मरीजों के लिए ब्लड शुगर को नॉर्मल रखना बेहद जरूरी है। डायबिटीज की बीमारी में ब्लड शुगर तब हाई होता है जब पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना कम या फिर बंद कर देता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक सफलता हासिल की है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलीनोइस के पशु वैज्ञानिक मैट व्हीलर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक रूप से संशोधित गाय का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है जिसके दूध में मानव इंसुलिन होता है। बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित यह शोध इंसुलिन आपूर्ति की वैश्विक चुनौती का संभावित समाधान करता है।
रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों ने जीन में परिवर्तन कर ऐसी गाय बनाई है जिसके दूध में इंसुलिन बेपनाह मौजूद रहेगा। दुनियाभर में डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए ये रिसर्च बेहद असरदार साबित होगी। वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई गाय से डायबिटीज के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण सफलता हाथ लेगेगी।
मौजूदा समय में डायबिटीज मरीजों के लिए इंसुलिन मुख्य रूप से आनुवंशिक रूप से संशोधित बैक्टीरिया या खमीर का उपयोग करके उत्पाद किया जाता है। यदि यह नया दृष्टिकोण व्यवहार्य साबित हुआ तो इंसुलिन उत्पादन में क्रांति ला सकता है। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित गाय के दूध से कैसे ब्लड शुगर कंट्रोल रहेगा।
वैज्ञानिकों ने ट्रांसजेनिक गाय से निकाला दूध
टीम ने गाय के भ्रूण में प्रोइइंसुलिन के लिए कोडिंग करने वाले एक विशिष्ट मानव डीएनए खंड को सम्मिलित करके इसे हासिल किया है। फिर इन भ्रूणों को सामान्य गायों में प्रत्यारोपित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप एक स्वस्थ बछड़े का जन्म हुआ। जबकि इस गाय को प्राकृतिक रूप से गर्भवती करने के प्रयास असफल रहे। मैट व्हीलर के नेतृत्व में गाय के जीन में परिवर्तन किया गया। यह बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में विस्तार से प्रकाशित हुआ है। टाइप-1 और टाइप-2 के बहुत ऐसे मरीज हैं जिन्हें ब्लड शुगर को नॉर्मल रखने के लिए रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है। शोधकर्ताओं में गाय में इंसुलिन जेनेटिकली मोडिफाइड बैक्टीरिया से बनाया है। गाय के दूध से डायरेक्ट इंसुलिन मिल जाए तो इसका फायदा देश और दुनिया के ज्यादातर लोगों को होगा।
दूध के विश्लेषण से मानव प्रोइंसुलिन और इंसुलिन के समान आणविक द्रव्यमान वाले प्रोटीन की मौजूदगी का पता चला है। रिसर्च के मुताबिक गाय के दूध ने प्रोइन्सुलिन को इंसुलिन में भी बदल दिया। मैट व्हीलर की टीम के मुताबिक गाय के भ्रुण को निकालकर उसके जीन में इंसुलिन प्रोटीन वाला इंसानी डीएनए के सेगमेंट को सेट कर दिया। इस DNA में इंसानी DNA का कोड मौजूद रहता है।
शोधकर्ताओं ने इस जीन में इंजीनियरिंग करके इस भ्रुण को नॉर्मल गाय के गर्भाशय में पहुंचा जिससे बछिया पैदा लिया। रिसर्च के मुताबिक जैसी ही ये गाय बड़ी हुई और उसने दूध देना शुरू किया तो दूध में वहीं प्रोटीन मौजूद था जो मानव इंसुलिन में है। रिसर्च के मुताबिक दूध का प्रोइंसुलिन इंसान के शरीर में जाकर इंसुलिन बन जाता है।