आंखें हमारी बॉडी का अहम अंग हैं जो हमारी जिंदगी को जीने का रास्ता देती हैं। बॉडी के इस जरूरी अंग की देखभाल करना जरूरी है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में हम ज्यादा समय कंप्यूटर और गैजेट्स के साथ गुजारते हैं, जिससे हमारी आंखें 10-12 घंटे मोबाइल या स्क्रीन की रोशनी के संपर्क में रहती हैं। आंखों पर पड़ने वाली ये रोशनी आंखों पर दबाव डालती है और आंखों में कई तरह की परेशानियां पैदा करती है। अक्सर लोग आंखों को आराम देने के लिए और आंखों को रिलैक्स देने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में आंखों को रगड़ते रहते हैं।

कुछ लोगों को आंखों को रगड़ने की आदत हो जाती है जिसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे आंखों में खुजली होना, आंखों का लाल होना, आंख में एलर्जी होना या फिर आंख में कुछ गिर जाने पर लोग ज्यादा आंख को रगड़ते रहते हैं। आंखों को रगड़ने से सिर्फ कुछ देर तक आराम मिलता है लेकिन बार-बार आंख रगड़ने से आंखों को नुकसान पहुंचता है। 

हेल्थलाइन के मुताबिक आंखों को बार-बार रगड़ने से आपकी आंखों की रोशनी कम हो सकती है और आंखों में कई तरह के डिजीज भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि आंखों को बार- बार रगड़ने से आंखों को कौन-कौन से नुकसान पहुंचते हैं।

रेटिना के डैमेज का बढ़ सकता है खतरा

आप जानते हैं कि आंखों को रगड़ने की आदत आपको चंद लम्हों के लिए आराम देती है लेकिन ये आपके रेटिना को प्रभावित भी कर सकती है। आंख रगड़ने से रेटिना पर दबाव पड़ता है। रेटिना आंख के पीछे ऊत्तक की परत होती है जो प्रकाश को दृश्य संकेतों में तब्दील करती है।

2022 की एक रिसर्च के मुताबिक “डिजिटल आई स्ट्रेन- ए कॉम्प्रिहेंसिव रिव्यू” से पता चला है कि आंखों पर बार-बार या अत्यधिक दबाव डालने से रेटिना पर दबाव पैदा हो सकता है। लम्बे समय तक इस आदत के दोहराने से रेटिना डिटेचमेंट हो सकता है, जो एक खतरनाक विकार है जिसमें रेटिना अपनी सामान्य स्थिति से अलग हो जाता है और इलाज न किए जाने पर अंधापन का कारण बन सकता है।

ग्लूकोमा है तो बढ़ सकता है खतरा

अगर किसी इंसान को ग्लूकोमा या मायोपिया जैसी आंखों की परेशानी है तो आंखों को रगड़ने की आदत को बदल लें। ग्लूकोमा में आंख के अंदर दबाव बढ़ने से विजुअल नर्व को नुकसान पहुंचाता है। आंखों को रगड़ने से आंख पर दबाव बढ़ जाता है जिससे समय के साथ आंखों को नुकसान बढ़ सकता है।

कॉर्निया के पतला और कमजोर होने का बढ़ सकता है खतरा

आंखों को बार-बार रगड़ने की आदत कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है। आंख रगड़ने से उनके कॉर्निया का आकार बदल जाता है। आंखों की ब्लड वैसल्स बेहद नाजुक होती है जो आंख रगड़ने पर टूट सकती हैं। आंख रगड़ने से आंख की सफेद परत पर खून जमने लगता है और आंख लाल हो जाती है। कॉर्निया में बदलाव होने से आंखों से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती है। विजन प्रॉब्लम बढ़ सकता है और गंभीर स्थितियों में कॉर्निया की सर्जरी तक करानी पड़ सकती है।

संक्रमण और एलर्जी का बढ़ सकता है खतरा

बार-बार आंखे रगड़ने से आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ने लगता है। जब हम बार-बार आंखों को रगड़ते हैं तो हाथों के कीटाणु, धूल और एलर्जी आंखों में चली जाती है और आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ने लगता है। आंखों में एलर्जी होने से आंख सूख जाती है और उनमें खुजली और जलन ज्यादा होती है जिसके कारण ज्यादा आंख को रगड़ना पड़ता है। आंख रगड़ने से लक्षण गंभीर हो जाते हैं।