हम भारतीयों की थाली का अहम हिस्सा हैं चावल, रोटी और साथ में मिठाई है। कभी-कभी हम मिठाई छोड़ भी देते हैं, लेकिन चावल और रोटी तो रोज़ खाते ही हैं। चावल, रोटी और मिठाई- ये तीनों कार्बोहाइड्रेट हैं और हमारी थाली का स्थायी हिस्सा बन गए हैं। आप जानते हैं कि अधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन मोटापा, डायबिटीज और अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक नई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों का भोजन कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है। रोज़ाना ली जाने वाली कुल कैलोरी का लगभग 62% हिस्सा चावल, गेहूं और चीनी से आता है, जबकि प्रोटीन की मात्रा केवल 12% है। यही कारण है कि देश में डायबिटीज, प्रीडायबिटीज और मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ICMR की डायबिटीज स्टडी में यह भी पाया गया कि ज़्यादातर भारतीयों की एनर्जी का मुख्य स्रोत चावल और रोटी ही हैं।
ICMR रिपोर्ट क्या कहती है?
हमारी डाइट हमारी खाने की आदतों, परंपरा, कीमत और ‘पूरा खाना’ क्या होता है जैसी गलत धारणाओं से तय होती है। इस वजह से हमारी थालियों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ती जा रही है, जिसे हम अक्सर हेल्दी फूड मान लेते हैं। ICMR ने अपने देशव्यापी “इंडिया डायबिटीज सर्वे” के ताज़ा नतीजे जारी किए, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि भारतीयों की थाली उन्हें डायबिटीज, मोटापा और मेटाबॉलिक विकारों की ओर तेजी से ले जा रही है।
इस अध्ययन में भारत के सभी क्षेत्रों के 18,000 से अधिक वयस्कों के भोजन के पैटर्न का विश्लेषण किया गया। नतीजों से पता चला कि औसतन भारतीयों की रोज़ाना कैलोरी का 62% हिस्सा कम गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट्स जैसे सफेद चावल, मैदा और एडेड शुगर से आता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन सबसे ज़्यादा था उनमें:
- टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 30% अधिक,
- प्रीडायबिटीज का खतरा 20% अधिक, और
- सामान्य मोटापे (Obesity) का खतरा 22% अधिक पाया गया।
- सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सफेद चावल की जगह साबुत गेहूं या मिलेट के आटे का सेवन करने से भी डायबिटीज या पेट की चर्बी (Abdominal Obesity) का खतरा कम नहीं हुआ। शोधकर्ताओं के अनुसार, असल फर्क केवल कुल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करने से पड़ता है, सिर्फ अनाज बदलने से नहीं।
ICMR-INDIAB डाइटरी स्टडी की प्रमुख बातें
- भारतीय डाइट की 62.3% ऊर्जा कम गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट्स (रिफाइंड सीरियल्स और शुगर) से आती है।
- हाई-कार्ब डाइट से टाइप-2 डायबिटीज,प्रीडायबिटीज और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
- रिसर्च में पाया गया कि रिफाइंड कार्ब्स की जगह साबुत अनाज लेने से कोई खास फायदा नहीं हुआ।
- यदि कुल कार्ब्स की कैलोरी में से सिर्फ 5% हिस्से को प्रोटीन (डेयरी, दालें, अंडा या मछली) से बदल दिया जाए, तो डायबिटीज और प्रीडायबिटीज का खतरा काफी घट सकता है।
मोटापा और डायबिटीज से बचाव के लिए कैसी डाइट लें
- रिसर्च के अनुसार मोटापा और डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन कम करना बेहद जरूरी है। सिर्फ मिलेट्स या साबुत अनाज का सेवन ही पर्याप्त नहीं है।
- डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं।
- पौधों और डेयरी आधारित प्रोटीन जैसे दाल, सोया, पनीर, दूध को डाइट में शामिल करें।
- अंडे और मछली को अपनी थाली में जोड़ें।
- हेल्दी फैट्स जैसे नट्स, बीज, ओलिव ऑयल को डाइट में शामिल करें।
- शुगर का सेवन कम करने के लिए अपनी थाली में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कार्ब्स, प्रोटीन, फैट का संतुलन बनाए रखें।
- इस तरह की डाइट ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और मोटापे के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।
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