जैसे ही मानसून का मौसम दस्तक देता है वैसे ही तेज़ गर्मी से राहत मिलती है और आस-पास का माहौल तरोताज़ा करने वाला एहसास देता है। मॉनसून अपने साथ-साथ कुछ ऐसे एलर्जी भी लेकर आता है जो कई लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। मानसून के दौरान एलर्जी होना एक आम बात है, इस मौसम में एलर्जी उन लोगों को भी प्रभावित कर सकती है जो साल भर किसी एलर्जी से परेशान नहीं रहते।

मानसून एलर्जी का मुख्य कारण होता है वातावरण में नमी का बढ़ना और गीलेपन के कारण फंगस और फफूंदी (mold) का तेजी से पनपना। बारिश का पानी इन एलर्जी के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है। ये मौसम उन लोगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है जो संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा मानसून के दौरान पराग कण (pollen) की मात्रा भी अधिक होती है जो उन लोगों के लक्षणों को और बढ़ा देती है जिन्हें कुछ खास पौधों या घास से एलर्जी होती है।

मानसून में फफूंदी और फंगस (Mold and Fungi) एलर्जी ज्यादा परेशान करती है। मॉनसून में घर की दीवारों, गद्दों, लकड़ी और बाथरूम जैसे नम स्थानों पर फफूंदी आसानी से पनपती है। इस एलर्जी की वजह से सांस संबंधी एलर्जी, खांसी और स्किन इरिटेशन हो सकता हैं। कुछ पौधे और घास इस मौसम में पराग उत्सर्जित करते हैं, जिससे छींक, आंखों में जलन और नाक बहने जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं।

नमी भरे वातावरण में घर के अंदर धूल के कणों में बैक्टीरिया और एलर्जी कारक तेजी से बढ़ते हैं। मानसून में खराब डाइट भी एलर्जी का कारण बनती है। जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थ, खासकर बाहर का खाना, फूड प्वाइज़निंग या एलर्जी का कारण बन सकते हैं। मॉनसून में सांस से जुड़ी एलर्जी सबसे ज्यादा परेशान करती है। इस एलर्जी की वजह से लगातार छींक आना, नाक बहना या बंद होना, खांसी, खासकर सूखी खांसी होना, सांस फूलना या सीने में जकड़न होना और  अस्थमा के लक्षण बढ़ने की ज्यादा दिक्कत होती है।

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और योग गुरु बाबा रामदेव ने बताया किसी को खाने पीने की चीजों से एलर्जी है जैसे घी से, दूध से, गेहूं से, चावल और खट्टी चीजों से एलर्जी है तो उसका इलाज कपालभांती योगासन से आसानी से किया जा सकता है। जिन लोगों को सांस से जुड़ी एलर्जी है वो डाइट में कुछ देसी नुस्खों को अपनाएं तो आसानी से इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि सांस की एलर्जी का इलाज कैसे करें।

सांस से जुड़ी एलर्जी (Respiratory allergies) के लक्षण

जिन  लोगों को सांस से जुड़ी एलर्जी है उन्हें छींक आना, नाक बहना, सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई देते है।

सांस की एलर्जी का इलाज

100 ग्राम बादाम, 50 ग्राम काली मिर्च और 20 ग्राम खांड का पाउडर बनाकर उसका सेवन करें। इसे खाने से सर्दी, जुकाम और एलर्जी कंट्रोल रहती है। रोज एक चम्मच इस पाउडर को रात को दूध के साथ खाकर सो जाएं सुबह आपको खुद ही फर्क महसूस होगा। इन तीनों को पाउडर बनाकर नियमित रूप से सेवन करने से सर्दी, जुकाम और एलर्जी में राहत मिल सकती है। ये सामग्री प्राकृतिक और सामान्य घरेलू आइटम हैं।

गिलोय का सेवन करें

अगर आप एलर्जी का इलाज करना चाहते हैं तो गिलोय का सेवन करें। गिलोय का सेवन करने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और रेस्पीरेटरी डिजीज कंट्रोल रहते हैं। गिलोय का सेवन नियमित करने से बार-बार होने वाला जुकाम, छींक आना और खांसी में सुधार होता है। गिलोय का सेवन करने से बॉडी में सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) की कार्यक्षमता बेहतर होती है जिससे बैक्टीरिया, वायरस और एलर्जी से लड़ने की ताकत मिलती है। गिलोय का सेवन करने से सांस की एलर्जी को कम किया जा सकता है। 10-15 दिन इस गिलोय का सेवन करने से कफ से जुड़े सारे रोग कंट्रोल रहेंगे।

दूध में हल्दी का करें सेवन

अगर आप एलर्जी को कंट्रोल करना चाहते हैं तो आप दूध में हल्दी का सेवन करें। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली anti-inflammatory यौगिक है जो फेफड़ों और सांस की नली की सूजन को कम करता है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में राहत मिलती है। दूध के साथ हल्दी का सेवन करने से बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले सर्दी-जुकाम, खांसी और गले के संक्रमण से बचाव होता है। हल्दी वाला गर्म दूध बलगम को ढीला करता है और छाती की जकड़न और खांसी में आराम देता है। हल्दी और दूध दोनों ही इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम और एलर्जी से बचाव करते हैं।

प्राणायाम कीजिए

रेस्पीरेटरी डिजीज कंट्रोल करने के लिए योगासन कीजिए। अनुलोम विलोम प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम करें। ये प्राणायाम फेफड़ों की सफाई, बलगम निकालने और ऑक्सीजन बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।

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