देशभर में कुत्तों को लेकर खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर डॉग शेल्टर होम भेजने की बात कही थी। इसके बाद से ही कुत्तों को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इसको लेकर कोई सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बता रहा है तो कोई फैसले का विरोध कर रहा है। इन सब के बीच यूपी के बदायूं जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां कुत्ते के चाटने भर से एक मासूम की मौत हो गई है। इस घटना के बाद से ही लोगों के मन में ये सवाल पैदा कर रहा है कि क्या कुत्ते के चाटने मात्रा से भी रेबीज हो सकता है।

दरअसल, आमतौर पर कुत्ते का काटना बहुत ही आम समझा जाता है, लेकिन कुत्ते के काटने पर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो ये खतरनाक ही नहीं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है। क्योंकि, कुत्ते के काटने से रेबीज हो होता है और समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो रेबीज एक घातक और जानलेवा बीमारी है, जो रेबीज वायरस के कारण होती है।

WHO के अनुसार, भारत में हर साल हजारों लोग रेबीज के कारण जान गंवाते हैं। कुत्ता चाहे पालतू हो या आवारा, उसके काटने पर तुरंत मेडिकल मदद और एंटी-रेबीज इंजेक्शन लेना बेहद जरूरी होता है। यह इंजेक्शन अगर कुछ घंटों के भीतर न दिया जाए, तो शरीर में वायरस फैलकर दिमाग, नर्वस सिस्टम और अंत में हार्ट प्रणाली पर हमला करता है, जिससे मौत भी हो सकती है।

क्या कुत्ते के चाटने से फैल सकता है रेबीज?

बदायूं के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रशांत त्यागी के मुताबिक, कुत्ते का लार भी संक्रमण का कारण बन सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, अगर संक्रमित कुत्ता किसी इंसान की खुली चोट, कट, खरोंच या आंख, नाक और मुंह पर चाटता है, तो उसके लार में मौजूद वायरस शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है। जिसके बाद ये वायरस धीरे-धीरे शरीर में नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है और रेबीज की स्थिति पैदा कर सकता है। ऐसे में इससे बचाव के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए, जिसके वायरस से बचाव हो सके।

कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें?

कुत्ते के काटने पर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। अगर किसी को कुत्ता काट ले तो घाव को तुरंत बहते पानी और साबुन से कम से कम 10 मिनट तक धोएं। इसके बाद एंटीसेप्टिक लगाएं जैसे पोटाश या डेटॉल का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही पास के किसी भी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाएं और एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाएं।

WHO के अनुसार, भारत में हर साल हजारों लोग रेबीज के कारण जान गंवाते हैं, जिनमें से अधिकतर मामले केवल इस वजह से होते हैं कि समय रहते इंजेक्शन नहीं लगाया गया।