आमतौर पर मासिक धर्म चक्र यानी पीरियड्स साइकिल 28-35 दिनों का होता है। कई बार इसमें 2-3 दिनों की देरी भी हो जाती है। हालांकि, ज्यादातर महिलाओं की शिकायत होती है कि उनकी पीरियड्स डेट हर महीने ही बदल जाती है। यानी अगर उन्हें एक महीने 20 तारीक को पीरियड्स होना शुरू हुए हैं, तो दूसरे महीने ये 20 को ना होकर 28 या 30 को होते हैं। वहीं, तीसरे महीने में ये तारीक भी बदल जाती है। ऐसे में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, साथ ही हेल्थ से जुड़ी चिंता भी सताने लगती है।
अगर आप भी इस तरह की परेशानी का सामना कर रही हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में हम आपको इर्रेगुलर पीरियड्स के कुछ संभव कारण बताने जा रहे हैं, साथ ही जानेंगे कि ये सेहत के लिए कितना खतरनाक है और इस तरह की परेशानी से किस तरह निजात पाई जा सकती है।
हर बार क्यों बदल जाती है पीरियड्स की डेट?
बता दें कि ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
पीसीओएस
पीसीओएस यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अनियमित पीरियड्स के अहम कारणों में से एक है। ये एक हार्मोनल समस्या है। इससे पीड़ित महिलाओं में पुरुष हार्मोन यानी एंड्रोजन का स्तर अधिक बढ़ने लगता है और महिला हार्मोन यानी प्रोजेस्ट्रॉन की कमी होने लगती है। इस स्थित में हार्मोन्स इंबैलेंस हो जाते हैं जिसके चलते ओवरीज में सिस्ट बनने लगते हैं। ऐसे में ओवुलेशन होना कम हो सकता है या बिल्कुल बंद भी हो सकता है।
बर्थ कंट्रोल पिल्स का अधिक सेवन
जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उन्हें भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस तरह कि पिल्स के अधिक सेवन से बॉडी के नेचुरल हार्मोनल साइकिल पर प्रभाव पड़ने लगता है जिस वजह से पीरियड्स लेट हो सकते हैं।
अधिक तनाव या थकान
किसी भी चीज की अधिक स्ट्रेस और अधिक थकान होना भी इर्रेगुलर पीरियड्स के अहम कारणों में से एक है। ये ब्रेन के उस क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है जो पिट्यूटरी ग्लैंड को कंट्रोल करता है। अधिक स्ट्रेस के चलते शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है और ये लेट पीरियड की वजह बनता है।
बहुत अधिक या बहुत कम वजन होना
पर्याप्त बॉडी फैट का ना होना ओवुलेशन से जुड़ी समस्या का कारण बनता है। ऐसे में भी आपकी पीरियड्स डेट बार-बार बदल सकती है। वहीं, बहुत अधिक वजन भी इस तरह की समस्या का कारण बन सकता है। मोटापा शरीर में एस्ट्रोजन की अधिकता का उत्पादन करता है और बहुत अधिक एस्ट्रोजन पीरियड साइकिल में अनियमितता का कारण बनता है।
क्रोनिक बीमारी
इन सब से अलग अगर आप किसी प्रकार की क्रोनिक बीमारी जैसे डायबिटीज या थायराइड से पीड़ित हैं, तो भी आपकी साइकिल अनियमित हो सकती है। ब्लड शुगर में बदलाव होने पर हार्मोन्स में भी बदलाव हो सकता है। वहीं, थायराइड में अधिक वजन के चलते भी आपके पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।
ऐसे में अगर आपकी पीरियड्स की डेट हर बार बदल जाती है, तो अधिक तनाव से बचें। वहीं, अगर आपका वजन ना तो बहुत ज्यादा कम है और ना ही बहुत अधिक है, लेकिन फिर भी आपके पीरियड्स अनियमित हैं, तो एक बार पीसीओएस, डायबिटीज और थायराइड की जांच जरूर करा लें।
कितना खतरनाक है बार-बार पीरियड्स डेट का बदलना?
एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कभी-कभी पीरियड्स डेट में बदलाव होने के हानिकारक नतीजे नहीं दिखाते हैं। हालांकि, अगर आपको लंबे समय से इस तरह की परेशानी की सामना करना पड़ रहा है, तो ये इनफर्टिलिटी, ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (गर्भाशय के अस्तर का मोटा होना) की वजह भी बन सकती है। ऐसे में समय रहते जांच कराना बेहज जरूरी है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।