लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में एक जरूरी और अहम भूमिका निभाता है। इसलिए, इस बीमारी से जुड़ी जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इसके जोखिम को कम किया जा सके। किसी भी व्यक्ति के लिवर में वसा की मात्रा सामान्य से अधिक होने की स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है।
फैटी लिवर की समस्या मुख्य रूप से दो प्रकार से होती है; 1- एल्कोहल फैटी लिवर 2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवरः नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) उन लोगों में ज्यादा होती है जो बिलकुल भी शराब का सेवन नहीं करते हैं। इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने लगता है, जिसका इलाज समय पर न करवाने के कारण आपका लिवर पूर्ण रूप से डैमेज हो सकता है, जिसे लिवर सिरॉसिस भी कहते हैं। ये स्थिति आगे जाकर कैंसर का कारण बन सकती है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के कारण: डिजीज भारत में डायबिटीज की तरह खाने-पीने की आदतें, दवाओं के सेवन और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलत आदतों की वजह से तेजी से बढ़ रही है। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज होने के पीछे का कारण अधिक वजन या मोटापे की समस्या, हाई ब्लड शुगर, प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज, ट्राइग्लिसराइड्स, ख़राब लाइफस्टाइल, खानपान से जुड़ी गलत आदतें, हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या, अंडरएक्टिव थायराइड (हाइपोथायरायडिज्म) है। सामान्य तौर पर नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी को लेकर किसी भी एक्सपर्ट की कोई सटीक राय नहीं है।
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर के लक्षण: फैटी लिवर के मरीजों को अधिक थकान, पेट के दाईं तरफ ऊपरी हिस्से में दर्द, पेट में सूजन, शरीर में अत्यधिक थकान, स्किन और आंखों पर नीलापन, हथेलियों का लाल होना, स्पाइडर वेन्स, आंखों का पीलापन, स्किन पर खुजली और रैशेज और वजन कम होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
फैटी लिवर से बचाव: वसा रहित या कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अपने आहार में ताजे फलों और सब्जियों को जगह दें। उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। कार्ब्स, तली हुई चीजें, वाइट ब्रेड, ज्यादा नमक, रेड मीट के सेवन से बचें। मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स, व्हेय प्रोटीन, और ग्रीन टी जैसे खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करें। हरी सब्जियां, अखरोट, जैतून का तेल, लहसुन, मेवे, फलियां, जामुन और अंगूर का सेवन बढ़ाएं। एक साथ ज्यादा देर एक्सरसाइज न करें। शराब का सेवन कम से कम करें।