डोपामाइन दिमाग में पाया जाने वाला एक रासायनिक पदार्थ है जो मस्तिष्क को संकेत भेजता है और शरीर में कई कार्यों में शामिल होता है। ये  यह मूड, फोकस, प्लेजर आदि को रेगुलेट करने में मदद करता है। दिमाग में डोपामाइन का लेवल सही होने पर एनर्जी, फोकस और मैनेज करने की क्षमता अच्छी रहती है। हालांकि, खराब खानपान, तनाव और सही नींद नहीं होने के चलते इसका लेवल बिगड़ सकता है, जो दिमाग की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। यह एक हार्मोन के रूप में भी कार्य करता है और इसका केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी शामिल होती है।

हार्वर्ड की डॉक्टर उमा नायडू ने डोपामाइन के बारे में जानकारी दी है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दिमाग में डोपामाइन का लेवल हाई या लो होने पर क्या समस्या हो सकती है। डॉ. नायडू के मुताबिक, डोपामाइन का हाई या लो लेवल पार्किंसंस रोग, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) जैसी बीमारियों से जुड़ा हुआ है।

डोपामाइन की कमी के लक्षण

  • मूड में उतार-चढ़ाव
  • थकान और एनर्जी की कमी
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • याददाश्त कमजोर होना
  • नींद की समस्या

दरअसल, डोपामाइन को अच्छा महसूस कराने वाला हार्मोन कहा जाता है। यह आपको खुशी का एहसास कराता है। जब आप खुशी महसूस कर रहे होते हैं तो यह आपको कुछ करने की प्रेरणा भी देता है। डोपामाइन आपके पुरस्कार प्रणाली का हिस्सा है। ऐसे में डोपामाइन का लेवल सही बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है।

केसर

केसर डोपामाइन और सेरोटोनिन बढ़ाने के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। केसर में क्रोसिन और साफ्रानल कंपाउंड होता है। यह इमोशनल बैलेंस बढ़ाता है। केसर का सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है। इसे एक चुटकी चाय में या खाने में डालकर ले सकते हैं।

हल्दी

हल्दी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो करक्यूमिन की वजह से आते हैं। करक्यूमिन डोपामाइन को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह डोपामाइन पैदा करने वाले न्यूरोन की सुरक्षा करता है और दिमाग के लिए जरूरी ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फैक्टर को बूस्ट करता है।

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