दीपावली का त्योहार हमारे लिए खुशियां लेकर आता है, लेकिन इस दौरान ध्वनि प्रदूषण हमारी परेशानी बढ़ा सकता है। पटाखों की तेज आवाज और बढ़ता शोर मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। जो पहले से ही चिंता से ग्रसित हैं, उन पर इसका असर अधिक हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, तेज आवाज के लगातार संपर्क में रहने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें तनाव का स्तर बढ़ना, नींद में गड़बड़ी और चिंता का जोखिम बढ़ना शामिल है।
जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में ध्वनि प्रदूषण से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बताया गया है, जो चिंता और तनाव को बढ़ा सकता है। जिसके चलते तनाव से जुड़े हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है। दरअसल, पटाखों से निकलने वाली आवाज 100 डेसिबल से ज्यादा होती है, जबकि सामान्य तौर पर 60 से 80 डेसिबल की आवाज को सुरक्षित माना जाता है।
ध्वनि प्रदूषण से क्या हो सकती है परेशानी
शांति भंग
दिवाली पर पटाखों की तेज आवाज हमारे डेली रूटीन को प्रभावित कर सकती है। इससे बेचैनी की भावना पैदा कर सकती है।
नींद में खलल
ध्वनि प्रदूषण नींद के पैटर्न में परेशानी हो सकती है। जिससे नींद न आना या बेचैनी बढ़ सकती है। पूरी नींद और अच्छी नींद नहीं होने पर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती है।
सुनने में दिक्कत
पटाखों से निकलने वाली आवाज से हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इससे कान का पर्दा फट सकता है, सुनने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता स्थायी रूप से भी कम हो सकती है।
दिवाली पर ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए क्या करें
घर पर एक शांत जगह बनाएं
दिवाली के मौके पर पटाखों की तेज आवाज से बचने के लिए अपने घर में एक खास जगह को शांत जगह के तौर पर तय करें, जहां आप शोर के बढ़ने पर आराम कर सकें। बाहरी शोर को कम करने के लिए भारी पर्दे, गलीचे या नॉइज मशीन जैसी साउंडप्रूफिंग चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
तेज आवाज से बचें
दिवाली के दौरान शोर से बचें। आप दिवाली के मौके पर किसी कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं और वहां पर तेज आवाज में गाने या फिर आतिशबाजी हो रही है तो इयरप्लग या हेडफोन का उपयोग करें। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।